Wednesday, December 26, 2012

MAI AUR MERAA KAAM


AS-SALAMUALYKUM WARAHMATULLAHI WABARKATUH.
MERE AZIZO PIYARO KIYA LIKHU?KIYA KAHU?KIYA SOCHU?MAI FACE BOOK YAA JO BI KUCH PADTA HU TO MERE PIYARE NABI E PAAK SALLALLAHU ALYHI W SALLAM KI UOMMAT BIKHRI HUVI BIGDGI HUVI TUTTI HUVI BEBAS LAACHAR NAJAR AA RAHI HAI IS UOMMAT KE KHAVAAS AVAAM AUR KHAIRKHAA JO DII DUNIYAVI IDAARE CHALAATE HAI UONKI SIYAASAT AUR ZINDAGI KAA RANG DHANG AAM LOGO PE PADNE SE PURA MUSHARA UONKI FIRKAA PARSHTI AUR TEHZIBI RANGO SE RANGAA HUVAA  DIKHAI PADTA HAI  LOG AAPS MAI HASAD BUGZ ADAVAT HIRSH KI AAG MAI JALTE NAZAR AA RAHE HAI FESHION DEKHAA DEKHI MAAL AUR JISM KI HAVAS NE LOGO KE DIL O DIMAAG KO BEKAABU KAR DIYAA HAI UON KI BAATEY UONKEY AARTICALS AUR UON SAB KE SAATH FIRKAA PARSHTI SAAF DIKHAI PADTI HAI,BAATEY PIYARE NABI KI SIRAT SURAT JAISI BANAANE KI HOTI HAI AUR AKHLAAK KUCH AUR NAZAR AA RAHE HAI,ALLAH KE RASOOL AUR MERE PIYAARE NABI TO KAYAAMAT TAK KI AANE WAALI UOMMAT KE LIYE ALLAH NE RAHEMAT BANAAKAR BHEJE THEY AUR HUM BAATEY KIYAA KARTE HAI KAAM KIYAA KARTE HAI DUOSRO KO SAMJAANE KE LIYE HAMAARI BAATEY NABI KI AUR SAHAABA KI HOTI HAI AUR KHUDKI ZINDAGI? JAISE MARNAA HI NAHI HAI EASI NAZAR AATI HAI ,JAB KOI BECHARA DIL JALAA KAHETA HAI TO UOSKI MAZAAK KI JAATI HAI KAHTE HAI JISKO KAMLA HAI UOSE PILAA DIKHTAA HAI YAA JAISE CHASME PAHNO GEY WAISAA NAZAR AAYEGAA FIR IS KE KHILAAF KHUDKE MUVAAFIK BADI BADI HADISH AUR QURAN KI HADISE BAYAAN KI JAATI HAI,SCHOOL COLLAGE WALEY AUR DINI IDAARO WALE MAI KIYAA FARK NAZAR AATAA HAI LILLAHIYAT AUR IKHALSH KI SIRAF BAATO KE SIVAA? KOI EAKAD SARIF UONKI IS GHALTI KI AUR KAHTAA BI HAI TO UOSKI MAZAAK KI JAATI HAI UOSKO PAGAL SAMJAANE KI KOSIS KARTE HAI UOSKE KHILAAF AUR KHUD KI SAFAAI MAI HADISH KAA MAHFOOM AUR QURAN KI AAYAT KAA TARJUMA AUR TAF SIR KAHTEY HAI.
          MERE PIYAARE AAKAA E NAAMDAAR TAAZDAARE MADINA FAKHRE DO AALAM SALLALLAHO SALLAM TO CAAHTE TO ALLAH RABBUL IZZAT UOHAD KE PAHAAD SONE KE BANAA DETE MAGAR WOH JAB IS DUNIYA SE PARDAA HUVE TO GHARME KIYAA THAA KITNAA SAJO SAAMAN THAA ARE CHIRAAG JALAANE KE LIYE GHAR MAI TEL NAHI THAA,ARE BHAIO UONKI DUA AUR QURBAANIYO KI BARKAT SE AAJ HAM MAJE UODAA RAHE HAI VARANAA KHUDAA CAAHE TO AGLI KOME KE JAISE HAME BHI ZAMIN FAAD KAR ZINDA DHASAA DE WOH RAHIM HAI TO KAHHAR BI HAI.MERE PIYAARO UOSSE DARO WARANA HAM KHASAARE MAI RAHEGEY ALLAH HAM SAB KI HIFAAZAT KAREY AUR MAGFIRAT BI AMEEN

Thursday, November 22, 2012

इश्क - ए - Ahsani

इश्क - ए - Ahsani (एहसान की खातिर प्यार): यह प्यार का सबसे कमजोर रूप में है कि यह पाखंडी है और मौजूद है के रूप में ही लंबे समय के रूप में प्यारी जो प्रेमी होने का दावा करने के लिए एहसान का विस्तार रहता है.

हजरत हाजी Imdadullah आरए ने कहा कि हम केवल अल्लाह के लिए प्यार की इस तरह की है. हम उनकी जबरदस्त दया और हम पर एहसान की वजह से हमारे प्यार दावे, लेकिन हम जैसे ही हम थोड़ी सी भी क्लेश के साथ दिए गए हैं कि प्यार में लड़खड़ाना. एक छोटे दुर्भाग्य या कठिनाई का कारण बनता है 1 हमारी प्रार्थना की लापरवाही हो. अगर हम थोड़ी सी वित्तीय कठिनाई में गिर हम मस्जिद के साथ हमारे संबंधों को तोड़ने के क्योंकि हम अतिरिक्त घंटे काम करने की जरूरत महसूस हो रहा है. यही कारण है कि यह प्यार का सबसे कमजोर रूप है, क्योंकि यह संबंध में थोड़ी सी भी अशांति के साथ टूट गया है.

शेख़ जुल्फिकार अहमद Naqshbandi

Quran-10:62

 
As-salamualykum warahmatullahi wabarkatuh.
Dosto Piyaro yaaro Azizo Buzurgo Ajj Jummaka piyara Mubarak Din hai
Aap sab Namaz e Jumma padegey Allah ka zikr karegey Quran padegey
Sadka khairat degey Allah se Ro Ro ke Dua e Karegey Muje Aapko yaad dilana hai ki Aapki nek Dua o mai Duniya ke sab mazlum musalmano ko aur
pure Aalam ke musalmano ke liye khair aur musibat door ho aur Allah Rabbul Ijzat Zalimo ka gaarat karke duniya ki sarzamiko paksaaf karey aur duniyamai chain sukun aur amnoaaman kayam karey jaisi dua e maangey aur muj gunahgar ke liye bi kuch maang lena sukriya jazahkallah
पैगंबर मोहम्मद ने एक बार कहा "आला fakhrun faqri वा faqra minni" मैं Faqiri का गर्व और फकीर मुझ से है. सूफी जो लोग इस्लाम के सच्चे इरादे ले लिया है आगे और संदेश फैल रहे हैं.

(PBUH) Rasulallah की कंपनी में Ashab-e-Sufa उनके जीवन बिताया है और ज्ञान प्राप्त है, की रक्षा और कुरान और हदीस की सही व्याख्या प्रचारित Tabaien और फिर ज्ञान टैब ई - Tabaien Tabaien द्वारा प्रचारित किया गया था और फिर Khulfa के लिए सूफीवाद के विभिन्न आदेशों के.

इल्म - ए - हक इस्लाम के इन सूफी संतों की शिक्षाओं और प्रथाओं में अपने शुद्ध रूप में पाया जाता है. ये Awliya अल्लाह, सर्वशक्तिमान के दोस्त हैं, जिसका सम्मान वह पवित्र कुरान में कहते हैं ..

लो! वास्तव में अल्लाह के दोस्त! कोई डर नहीं उन पर आता है, और न ही वे करेगा शोक. "

(कुरान-10: 62)

Saturday, November 17, 2012

ZALIM TEACHER NE CHHIN LI MAASOOM KI ZINDAGI?

(NAVBHARAT TIMES.TIMES OF INDIA.COM)

जालिम टीचर ने छीन ली मासूम की जिंदगी!

Piya Chaudhary
मां के साथ पिया की तस्वीर।
जयपुर।। टीचर की पिटाई की शिकार एक 9 साल की बच्ची की कैंसर की वजह से मौत हो गई। 2 साल पहले होमवर्क पूरा न करने पर टीचर ने पहली क्लास की स्टूडेंट को इतनी बुरी तरह से मारा कि उसकी आंख की रोशनी चली गई। लंबे वक्त तक इलाज के बाद भी उसके जख्म ठीक नहीं हुए और आखिरकार उसे कैंसर हो गया। शुक्रवार को इस बच्ची ने अंतिम सांस ली।

मामला 2 साल पहले का है। प्रिया चौधरी झुंझुनू के टैगोर स्कूल में पहली क्लास की स्टूडेंट थी। आरोप है कि टीचर ने होमवर्क पूरा न करने पर उसकी पिटाई कर दी थी। टीचर की पिटाई की वजह से पिया को न सिर्फ अपनी आंख गंवानी पड़ी, बल्कि उसके ब्रेन में भी क्लॉटिंग हो गई। 2 साल से दिल्ली के AIIMS में ट्यूमर्स के लिए उसका इलाज चल रहा था। उसकी आंख का भी 8 बार ऑपरेशन हुआ था, लेकिन कुछ महीने पहले डॉक्टर्स ने उसके परिजनों को बताया कि जख्मों में लिम्फोमा (एक तरह का कैंसर) हो गया है।

पिया की मौत के सदमे से उसका परिवार टूट चुका है। लेकिन उन्होंने तय कर लिया है कि उनकी बच्ची की मौत के लिए जिम्मेदार टीचर को वे सजा दिलाकर ही रहेंगे। अब पिया का परिवार चाहता है कि उसकी पिटाई करने वाले टीचर के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया जाए। परिजनों का यह भी कहना है कि स्कूल मैनेजमेंट ने वादा किया था कि पिया चौधरी के इलाज का खर्च वही उठाएंगे, लेकिन बाद में स्कूल ने हाथ पीछे खींच लिए।

पिया के अंकल नवीन ने अंतिम संस्कार के बाद कहा, 'हम झूंझुनू सदर पुलिस में उस टीचर के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराएंगे, जिसकी पिटाई की वजह से न सिर्फ प्रिया की आंख, बल्कि जिंदगी भी चली गई। एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि सिर में आई गंभीर चोटों और ब्रेन में क्लॉटिंग की वजह से पिया की हालत बेहद गंभीर हो गई थी।'

6 सितंबर, 2012 को पिया की फैमिली ने टैगोर स्कूल के खिलाफ केस वापस ले लिया था। स्कूल मैनेजमेंट ने वादा किया था कि वह मुआवजे के तौर पर 15 लाख रुपये देगा। लेकिन परिजनों का कहना है कि स्कूल ने पूरे रुपये नहीं दिए। कुछ हिस्सा देने के बाद स्कूल ने उन्हें इग्नोर करना शुरू कर दिया। पिया के अंकल ने कहा, 'पिछले एक महीने से हम उन्हें कॉल कर रहे हैं, लेकिन वे बात नहीं कर रहे। ऐसे में हम फिर से केस खुलवाने के लिए कानूनी सलाह लेंगे।'

पिया की मां सोनू चौधरी के वकील ए.के. जैन का कहना है, 'परिवार ने कोर्ट में ऐफ़िडेविट दिया है कि स्कूल ने 15 लाख रुपये दिए हैं, इसलिए वे केस वापस ले रहे हैं। लेकिन फिर भी लावरवाही की वजह से मौत का मामला तो बनता ही है। हम परिवार की मदद के लिए हर संभव कोशिश करेंगे।' पिया के परिवार के समर्थन के लिए बहुत से लोग और समाजसेवी संगठन भी आगे आ रहे हैं। चाइल्ड राइट्स ऐक्टिविस्ट विजय गोयल का कहना है, 'हम परिवार को न्याय दिलाने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे।'

Allama Iqbal-1


Friday, November 16, 2012

Muharramul haram

अस-सलामुअल्य्कुम वरह्मतुल्लाही वाबर्कातुह,
मेरे पियारे जाने अनजाने  दोस्तों सब खेरियत होगे,इस्लामिक मुसलमानों के नए साल की भी
सुरुआत २ दिन से हो चुकी है ये बड़े पियारे दिनी और तारीखी ऐयाम और दिन चल रहे है
इतिहास और तारीख गवाह है हमारे अस्लाफो ने  दिन को इस्लाम को जिंदा रखने के लिए
अपने आप की जान की बी क़ुरबानी दी कर्बला में जोहर की नमाज़ का वक़्त हो रहा था
अल्लाह के पियारो ने दुश्मनों से कहा कुछ वक़्त के लिए लड़ाई जंग बंद रखे
 हमें नमाज़ पद लेने दो मगर दुश्मनआ  इस्लाम ने उस वक़्त बी मजाक उड़ाई थी हशन हुसैन के साथ बावन साथी थे छाब्बिश चब्बिश की २ टीम बनायीं थी पहेली छाब्बिश ने नमाज़ पड़ी और छाब्बिश निगरानी रखकर लड़ते रहे मेरा कहेने का मंशा ये है की नमाज़ जैसी अहम् इबादते उओं लोगो ने न छोड़ी अपने को सहीद करना पसंद किया मगर अल्लाह के फ़राइज़ को न छोडे.आज का मुस्लमान जो अपने दिन इमांन  का सोडा करता है दुनिया के असबाब रहत सुकून ऐयाशी के लिए और पूरी मुस्लिम कोम और इस्लाम को बदनाम करता है उसे याद रखना छाहिये के हमें एक रोज़ मरना है अल्लाह को और अल्लाह के रसूल को मुह दिखIना है उस वक़्त हम किया मुह दिखाएगे,एक और किस्सा किताबो मई आता है हशन बशरी र. अ. ने राबिया बश्रिया को निकाह के लिए पैगाम भेजा था राबिया ने कहा मेरे कुछ सवालों का जवाब दोंगे तो मई निकाह करुगी १ सवाल जब हस्र मई हिशाब के रोज़ आमल नामा अल्लाह हर इन्शान के हाथमे देगे तो मेरा आमल नामा सीधे हाथ मे दिया जाएगा या उलते हाथ मे हशन र.अ. ने कहा मुझे मालोम नहीं २ सवाल किया राबिया बशरी र.अ. ने की मे जन्नती हु या जहान्नामी  हशन बशरी र.अ. ने कहा मुझे पता नहीं ३ सवाल  मे अल्लाह की महेबुबा हु या अल्लाह की दुश्मन हशन र.अ.ने कहा मुझे पता नही तो रबियाने कहा तो फिर रहेने दो मुझे आखिरत की तयारी  करने दो इतने डरते थे वोह लोग और अज हमारा हाल   ये है  हम गुनाह करके बी फख्र करते है कितनी बुरी बात है,एक और किश्हा बी सुनो पदों  एक सैयदना बेवा औरत एक मालदार के पाश गयी कहा मेरी कुछ इमदाद करो मरी बचिया जवान हो गयी है खाने पिने को कुछ नहीं है  उस मुस्लमान मालदार ने कहा किया साबुत है तू सैयद है बहुत आजिजी की मगर वो न मiनI वो औरत थक हIर के एक मजुशी के पास गयी मजुशी यानी पारसी आगको पुओजने वाला उसने उओस औरत की मदद की अपने यहाँ सहारा दिया रात मे  मुस्लमान मालदार ने ख्वाब देखा जिसमे सबको आप स.व. जन्नत के महेल मे भेज रहे है जाने को कह रहे है  उओस अमुसलमान ने कहा मुझे बी मेरे बंगलेमे जाने दो  हुजुर स.व. ने कहा किया साबुत है तू इमांन वाला है तूने उओस औरत से प्रूफ मांगा था. जब सुबह आंख खुली तो दोड़ता हुवा उस औरत को धुनने गया धुनते धुनते वोह मजूसी के वह मिली उओसने उओस्से कहा भाई ये मुस्लमान तू मजूसी  इसे मेरे हवाले करदे आजाद करदे उओसने न इनकार कर दिया और कहा सुनो जब ये आई तो मैंने इसे पनाह दी इसका तावुन किया उओसी वक़्त मेरे दिल मे बात आई और मेने कलमा पड़कर इस्लाम मे दखिल हो गया आज बी मुस्लमान खुद इस्लाम को समजा नहीं है और दुसरो के साथ दिन का सौदा कर रहा है गैर तो गैर खुद मुस्लमान मुस्लमान के लिए मुह मे आये वोह बकता है  अपने भाई यो को तकलीफ देता है ये बहुत बुरी बात है यक़ीनन अछे बुरे का फैश्ला होना है यहाँ तो भुगतना है और आखिरत का माम्लातो बहुत मुश्किल है अल्लाह हमसब को नेक  हिदायत दे और स्म्जाकर दिन की कदरदानी नसीब करे आमीन (जुम्मा के रोज़ शैख़ मुहम्द हनीफ लुहर्वी के बयान मैसे )           
   

Monday, October 29, 2012

MALALA YUSUFZAI




मलालI युसुफजई पर हमले:परीक्षण और अशांति के समय में समझदारी दृष्टिकोण
एक 14 वर्षीय लड़की और दुनिया भर में मीडिया की रिपोर्ट में आतंकवादियों द्वारा कार्यकर्ता लड़कियों की शिक्षा Malala Yusufzai के लिए की एक हत्या के प्रयास की हाल की घटना सभ्य समाज के सभी हलकों से एक स्पष्ट और स्पष्ट निंदा के हकदार हैं. असहिष्णुता और उत्पीड़न के इस तरह के बिलकुल unIslamic कृत्यों बिल्कुल जो इस्लाम में कोई जगह नहीं है.
आज इस्लाम इस तरह के एक दोराहे पर खड़ा है कि यह अपने अपरिपक्व और ढीठ दोस्त और उसके षडयंत्रकारी और चालाक विरोधी जो कोई कसर नहीं छोड़ने के उनके जोश में यह बदनाम करने बेसुरा बीच पकड़ा है. हम एक उम्र जिसमें सनसनीखेज प्रचार में रहते हैं और पक्षपातपूर्ण सनसनीखेज़ पत्रकारिता के आदर्श है. मीडिया इस तरह के अमानवीय क्रूरता के आम तौर पर स्वीकार किए जाते हैं अविश्वसनीयता के बावजूद मजबूत संभव संदर्भ में इस्लामी विद्वानों की भारी बहुमत से निंदा खड़ा है. यह जरूरी है कि दुनिया भर में इस्लामी छात्रवृत्ति सर्वसम्मति से और तुरंत आगे आने के लिए सार्वजनिक रूप से इस अत्याचारी जाहिरा तौर पर गुमराह उग्रपंथियों जो इस्लाम के उचित नाम धूमिल की एक अत्यंत miniscule झब्बे द्वारा perpetuated कार्य निंदा करना चाहिए है.
तहरीक - ए - तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का दौरा यह बहुत ज्यादा लगता है संभावना है कि उसके नव औपनिवेशिक मतारोपण के कारण प्रश्न में लड़की पश्चिमी स्टाइल भौतिकवादी शिक्षा और सांस्कृतिक भ्रष्टाचार के पैरोकार का औचित्य साबित करने के प्रवक्ता द्वारा दिए गए बयान से. फिर भी, यहां तक ​​कि अगर हम मान लें कि वह नैतिक अधमता के एक प्रवर्तक था ऐसे द्वेषी दुष्कर्म पूरी तरह से इस्लाम के शांतिपूर्ण और समतावादी शिक्षाओं के साथ असंगत है और कल्पना की किसी भी मायने में कभी नहीं कर सकते हैं Islamically मंजूर की.
हमारी प्यारी पैगंबर मुहम्मद (शांति उस पर हो सकता है) इस्लाम के कट्टर विरोधियों के साथ भी माफी, सहनशीलता, संयम, धैर्य के असंख्य उदाहरण सेट. यह कितनी बार में चिंतित टीटीपी उसके माता पिता और उसके एक दयालु और बुद्धिमान तरीके में वकील के साथ कारण के लिए प्रयास किया है के रूप में जानना दिलचस्प होगा. इसके अलावा, यह काफी विडंबना है कि इस्लाम के कारण की अपेक्षा ध्वज पदाधिकारियों के कुछ ज़ोर देकर दैवी हस्तक्षेप विनत उसके दिल और दिमाग को बदलने की मौलिक पहलू को भूल गए हैं. ऐसे कठोर आक्रामक कदम उठाते हुए बस शैतानी बलों के हाथ है कि उपहास इस्लाम को निर्धारित कर रहे हैं में खेल रहा है. इसलिए इस तरह के एक लापरवाह और तामसिक दृष्टिकोण इस्लाम के शांतिपूर्ण और प्रामाणिक शिक्षाओं के साथ असंगत है.
पाकिस्तान के इस्लामी छात्रवृत्ति, इस्लामी मदरसे, धार्मिक संगठनों, और elites के अधिकारियों ने सर्वसम्मति से और तुरंत आगे आने के लिए साहस और बुद्धि के साथ इस मुद्दे के साथ निपटने के.
मैं ईमानदारी से शारीरिक उस पर प्रवृत्त नुकसान से हमारा इस बेटी की पूर्ण और शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना करते हैं और जोशीला प्रार्थना करना अल्लाह उसे जो बंदरगाह गलत उद्देश्यों छद्म सहानुभूति रखने वालों की धोखेबाज जोड़तोड़ से उसे सुरक्षित रखने के लिए. मैं भी ईमानदारी से प्रार्थना करना अल्लाह प्रतिशोध के किसी भी भावनाओं से उसके दिल को चंगा करने के साथ ही उसे विदेशी वैचारिक और सांस्कृतिक प्रभावों कि उसके मन मोहित किया है इलाज.
शेख खलील उर रहमान सज्जाद नोमानी

Monday, October 1, 2012

Saturday, September 15, 2012

AHMED PATEL


अहमद पटेल पर नहीं डाला दोषः पीएम    

मनमोहन, सोनिया, अहमद पटेल
मुंबई मिरर | Sep 15, 2012, 04.57PM IST
नई दिल्ली।। प्रधानमंत्री कार्यालय ने मुंबई मिरर में प्रकाशित उस खबर को निराधार बताते हुए उसका खंडन किया है जिसमें कहा गया था कि उन्होंने कोलगेट कांड में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर दोष मढ़ने की कोशिश की है।

 यह समाचार हमने अपने सहयोगी अखबार मुंबई मिरर से लेकर नवभारत टाइम्स पर भी प्रकाशित किया था। मगर, प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा खंडन किए जाने के बाद हम यह खबर अपनी वेबसाइट से हटा रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से हमें भेजा गया खंडन इस प्रकार है-

 'प्रधानमंत्री कार्यालय का ध्यान मुंबई मिरर में आज 15 सितंबर 2012 को प्रकाशित एक खबर की ओर गया है। यह आरोप एकदम झूठ है कि प्रधानमंत्री ने यूपीए अध्यक्ष से बात की और उनसे कहा कि उनके कार्यालय ने कोल ब्लॉक आवंटन उनके राजनीतिक सचिव की सिफारिशों पर किए। यह रिपोर्ट फूहड़, गैरजिम्मेदार और शरारतपूर्ण है। उम्मीद है, दूसरी अखबार या मीडिया संस्थान इस निराधार खबर को पुनर्प्रस्तुत नहीं करेंगे।'

Friday, September 14, 2012

Janm Din?

As-Salamoalay kum....

Hamari Ziz Bhai dost shalgirah Mubark ho.Aalaah Aapko din or duniya me is roshan chirag ki tarha rakhey..or dinka dayi banaye..Allah tamam khushiya Ata kare Aap ko jis me Allah or uske rasool ki hiqmat ho..Allah Aapki umrah me barqat Ata kare.Allah Aapko khush rakhey

Aapka Aziz dost..........................ZaiN
Like · ·
Suraaj ki Kirne Aapko Roshni de.
Phoolon ki Khushboo Aapko Khushi de.
Ham to Kuch nhi de Sakte Aapko.
Dene wala Aapko Zindagi de..

~~Happy Birthday~~


ALLAH BLESS U

ALLAH ap ko sada salamat rakhe ALLAH ap ko sada khush rakhe aameen

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***\/****\/****\/****
***||****||****||******
***||****||****||******
**(-----------------)*****
**(-------Happy------)***
**(-----Birth-day----)***
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Lovely msg for a Lovely Person
from Lovely Friend
For a Lovely Reason
at a Lovely Time
from a Lovely Mind
in a Lovely Mood
in a Lovely Style
to wish you
Have a Lovely "BirthDay"

@" " "@ a
( 'o' ) CUTE
(@)_ "_(@) Bear...

Wishing u..

A great Life

Happiness
always
***HAPPY BIRTHDAY** to u :))))




Wednesday, September 5, 2012

Kuch Bade Lekhak?


 

Kuch Badey Lekhak Apne Aapko logo ke Saamne Aadarshwadi Apne ko Dekhane ki kosis kartey hai magar ye Aalekh se jaaniye Inke kaarnaamey

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सुनील गंगोपाध्याय ने मेरा यौन उत्पीड़न किया थाः तस्लीमा

Taslima and Sunil Gangopadhyay
सुनील गंगोपाध्याय और तस्लीम नसरीन
कोलकाता।। बांग्लादेशी लेखिका तस्लीना नसरीन ने साहित्य अकादमी के अध्यक्ष सुनील गंगोपाध्याय पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर भूचाल ला दिया है। उनके इस आरोप से बंगाल के साहित्यिक जगत में जहां खलबली मच गई है, वहीं सुनील गंगोपाध्याय का कहना है कि वह ऐसे आरोपों की परवाह नहीं करते।

तस्लीमा ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा है, 'सुनील गंगोपाध्याय किताबों पर बैन लगवाने के लिए ही हैं। उन्होंने मेरा और दूसरी कई औरतों का यौन उत्पीड़न किया है।' इस बारे में उन्होंने शुभंकर मुखोपाध्याय के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि सन् 1999 में गंगोपाध्याय ने उनका यौन उत्पीड़न किया था। उनके इस कबूलनामे पर ट्विटर पर कई लोगों ने यह सवाल भी पूछा है कि इतने साल वह चुप क्यों रहीं।

दरअसल, आइपीएस अधिकारी नजरुल इस्लाम की मुसलमानों पर केंद्रत किताब पर पश्चिम बंगाल पुलिस ने जो कार्रवाई की है, उससे तस्लीमा काफी दुखी हैं। उन्होंने लोगों से पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध करने की अपील की थी। तस्लीमा ने इस बारे में ट्विटर पर लिखा,'सुनील गंगोपाध्याय अभी किताब पर बैन के खिलाफ बोल रहे हैं। लेकिन यह वही शख्स हैं, जिन्होंने मेरी किताब 'द्विखंडितो' पर बैन लगवाया था।'

तस्लीमा ने इस मामले में कई ट्वीट किए हैं। उन्होंने खबरों के लिंक ट्विटर पर शेयर करते हुए दावा किया कि सुनील गंगोपाध्याय मीडिया में झूठ बोल रहे हैं कि उन्होंने मेरी किताब द्विखंडितो पर बैन का समर्थन नहीं किया था।
 

Saturday, September 1, 2012

2002 ke Dangey kaa judgement


नरोडा पाटियाः कोडनानी को 28 साल, बजरंगी मौत तक जेल में


अहमदाबाद।। गोधरा ट्रेन अग्निकांड के अगले दिन अहमदाबाद के नरोडा पाटिया इलाके में हुए नरसंहार के मामले में एसआईटी कोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व मंत्री माया कोडनानी, वीएचपी नेता बाबू बजरंगी व 29 अन्य को अलग-अलग धाराओं के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोडनानी को कुल 28 साल और बाबू बजरंगी को मौत तक जेल में रहना होगा। बाकी 29 दोषियों में 7 को 31 साल और 22 को 14 साल की सजा सुनाई गई है। एक दोषी को फरार होने के कारण अभी सजा नहीं सुनाई गई।

कोडनानी को दो अलग-अलग धाराओं के तहत 10 और और 18 साल की सजा सुनाई गई। कोडनानी को हत्या के आरोप में उम्रकैद और साजिश रचने के आरोप में धारा 326 के तहत 10 साल की अतिरिक्त सजा सुनाई गई। इस तरह उन्हें कुल 28 साल जेल में काटने होंगे। बाबू बजरंगी को मौत तक जेल की सजा सुनाई गई है।

करीब साढ़े दस साल पहले हुए इस दंगे में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 70 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनके खिलाफ 325 से ज्यादा लोगों ने गवाही दी। आरोपियों में से 7 की मौत हो चुकी है, जबकि दो फरार हैं।

बुधवार को विशेष अदालत ने इस मामले में 32 लोगों को दोषी करार दिया था, जबकि 29 को बरी कर दिया था। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की करीबी मानी जाने वाली पूर्व मंत्री माया कोडनानी को अपराधिक साजिश, हत्या, हत्या के प्रयास के तहत दोषी करार दिया गया था। अन्य को दंगा फैलाने, आगजनी सहित अन्य आरोपों में दोषी पाया। एक आरोपी सुरेश उर्फ रिचर्ड चारा पर बलात्कार का भी आरोप साबित हुआ है।

गवाहों ने अदालत में बताया कि तत्कालीन विधायक माया कोडनानी ने भीड़ को उकसाया था। बाद में कोडनानी महिला और बाल विकास मंत्री बनी थीं। मार्च 2009 में मंत्री रहते गिरफ्तार होने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

जज ज्योत्सना याज्ञनिक की अदालत में जिरह करते हुए सरकारी वकील ने सभी दोषियों को फांसी देने की मांग की। इसका विरोध करते हुए बचाव पक्ष ने दोषियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखने की गुजारिश की।

2002 ke dangey kaa judgement



                      नरोदा पाटिया दंगे के गुनहगारों की सजा का ऐलान हो चुका है. कोर्ट ने गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को 18 साल और बंजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.
गोधरा में ट्रेन जलाने की घटना के बाद 28 फरवरी 2002 को नरोदा पाटिया में हुए दंगे में कोर्ट ने 62 में से 32 लोगों को दोषी करार दिया था. 29 को रिहा कर दिया गया जबकि एक की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई. दोषी करार दिए जाने वालों में बीजेपी की विधायक और गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी भी शामिल थे.
कोडनानी और बजरंगी पर धारा 120बी यानी आपराधिक साजिश रचने और दफा 302 यानी हत्या का आरोप साबित हुआ था. इस केस में कुल 327 लोगों की गवाही के बाद कोर्ट ने इन आरोपियों को दोषी पाया. नरोदा पाटिया केस गुजरात दंगों के उन नौ मामलों में एक है जिसकी जांच एसआईटी ने की थी.
नरोदा पाटिया केस में लोगों को इंसाफ दिलाने में आजतक की भी अहम भूमिका रही. आजतक ने गुजरात दंगों पर स्टिंग ऑपरेशन, ऑपरेश कलंक दिखाया था, जिसमें बाबू बजरंगी बड़े गर्व से दंगों में शामिल होने का दावा करते कैमरे में कैद हुए थे.

Saturday, August 25, 2012

Sabhaal ke dost banana.


AS-SALAMUALYKUM WARAHMATULLAHI WABARKATUH.
 DOSTO EK BAAT AAJ KARNI HAI WO YE KI AAP SAB FACEBOOK AUR DUSRI SOCIAL PAGE PAR YAA INTERNET PAR LOGO SE CONTECT MAI AATE HO FIR DOSTI MAI YE CONTECT BADAL JAATAA HAI MAGAR EK BAAT MAI BAAR BAAR YAAD DILATA AAYA HU KI TUMHARE FRENDZ LIST MAI AAPNE YE DOUSRO NE BANAAYE HUVE SABHI FRENDZ ACHHE YAA IMANDAR NAHI HOTE HAI ISI TARAH SE SABHI FRENDZ BURE BI NAHI HOTE MAGAR BAHUT EAHTIYAAT AUR JARURI HAI KE JISSE AAP DOSTI KARO UOSKE BAAREMAI PURI CHHAN BIN KI JAAYE KAHI EASA NA HO KE KOI CRIMEWALA DOST YAA BURE DOST KI WAJAH SE AAP MUSIBAT AUR PARESHAANI MAI NA FAS JAAWO MAI JAANTAA HU HAZARO LAKHO ID FAKE HAI MAGAR ID FAKE APNI KUCH SECURITY KE LIYE RAKHO TO KOI HARZ NAHI MAGAR DUSRE KISI KO DHOKHA YAA FROD KE LIYE RAKHOGEY TO WOH BAHUT BADAA SAYBER CRIME KAA GUNAH BANTAA HAI MAI JAANTA HU NET PAR SABHI KISM KE SABHI DHANDE KE LOG AUR SABHI COMPANIYAA MOJUD HAI JISMAI SE ACHHE KAM HAI BURE ZIYADA HAI TO HAME CHAAHIYE KI HAM ACHHE LOGO KA YAA ACHHE GROUP KAA SATH AKHTIYAR KARE NAHITO KISI KE BURE LAALCHU AUR GALAT LOGO KE HAATHO MAI FASEGEY TO ISKAA HO SAKTA HAI BAHUT BURAA NATIJAA BHUGATNA PADE AUR FIR HUM ALLAH KO AUR APNE NASIB KO KOSTE FIRENGEY. EK BAAT AUR BATANI HAI KI HAMAARA IS PAGE KAA MAKSAD SIRF AUR SIRF MUASHEREMAI ACHHAI FAILANA AUR ISLAM PAR UOCHALE JAATE KICHADO PE NAGAH RAKHNA UOSE DOOR KARNA HAI LEKIN JO BI FIR CAAHEY WOH GAIR KOM KAA KIYU NA HO LEKIN MUOSHREMAI ACHHAI FAILAYE MUSALMANO KE SATH DILSE HAMDARDI RAKHTAA HO WOH FI HAMARA DOST HAI HAMARE KOM KE LOGO KO ACHHAI KI DAAWAT DENA FACE BOOK PAR JO HAMARE NAWJAWANO KO GANDAGI FAILAYI JAATI HAI UOSSE ROKNA ACHHI TARBIYAT KI BAATEY KARNA HAI AUR KOI HAMARI GARAZ NAHI HAI JAZAHKALLAH






Friday, August 17, 2012

EID-Ul-Fitr Mubarak

            As-salamualykum Warahmatullahi Wabarkatuh.Mere Piyaaro Aap sab Idd Aarahi hai is liye uoski khusi mai apne-bachho ke kapde dusri ghar ki kharidi Dudh Sevnaiyaa aur na jaane kiyaa kiyaa kaam mai masroof hogey aur puri Ramdan Roze Namaz Taraabih Quran Dua Zikar Bayaan Khair kairaat mai bizi tey muje maaloom aap thak bi gaye hogey magar aap jaantey hogey ki jo chain sukun barkat Aaram Raahat kaa tajurba Ramdan mai huvaa ab pure saal kahaa honewala hai Aap sahi kahiye is mahina ke Alava or din hum sab macine ki tarah kaam karte hai or jo log nahi bi karte woh bi tenson mai jeetey hai lekin yeh mubarak mahine ki barkat se hamne jo Roohani jishmaani Nafey Paaye woh koi Alfaz mai kaise bayaan kar saktaa.dosto ye Maah hamey hamaarey liye ek Prectical Zindagi Puri uomar jinaa sikha gayaa ab iske mutabik ham aaida 11 mahine bi gujaaregey to hamaari zindagi mai bahaaro ke chaar chand lag jaayegey
App yakin maaniye Islaam kaa har Amal har Tarikaa Inshan ki Dono Zindagi yaani Duniya w Akhirat kaamyaab karne ki Dawat Detaa hai is liye hamey caahiye ke hamey hamaarey Din e Islam ko pure puraa Apni Zindagi mai sahi sachhai Imaandaari se uotaarna hogaa agar ye uotar jaayegaa fir hamey koi sikaayat kisi se nahi rahegi aur iski mask kosis karte kartey na bi uotraa to bi Faayde se khaali nahi.aur Idd ke liye Akhri kahi ek din kahi do din baaki hai to hum ye baaki bachey dino kaabhi pure puraa faayda haasil karey or jo kuch kami beshi rahgayi hai yaani jakaat kherat sadkaa to woh bi de de ise tax na samjey yedegey to hamara to faayda hogaa magar kitne garibo ka bi faayda hoga kiyu ke ho sakta hai kisi ke bivi bachhey idd ke kapdo ke liye khane pine ke liye yaa jo uojad gaye hai bichad gaye hai uonkey kaam aa sake.Aur ho sake to ye baaki do char Raatey bi jaagkar Allah se Ta'aluk jodne ki kosis karey Karegey na bhai Aur Isi khusi mai Allah ne hamey Eid Jaisa khusi kaa din diyaa hai Sukriyaa Aur Aap sab ko EID ki Bahut bahut Mubarakbad,
 

Friday, August 10, 2012

TURKEY

                                TURKEY NE KI BURMA KE MUSALMANO KI MADAD

Gujarat Janmashtmi

                                 GUJRAT MAY 10 AUGUST KO JANMASTMI KA EK PIC



Monday, July 30, 2012

Modi Interview

मुसलमान भाइयों से अपील है कि वे सिर्फ वोट बन कर न रहें

29 July 2012 12 Comments
नरेंद्र मोदी से उर्दू साप्‍ताहिक नई दुनिया के संपादक शाहिद सिद्दीकी का इंटरव्यू
यही वो इंटरव्‍यू है, जिसके प्रकाशन के बाद समाजवादी पार्टी ने शाहिद सिद्दीकी से किनारा कर लिया।
दो सप्ताह पूर्वमैं हेमा मालिनी की पुत्री की शादी में भाग लेने के लिए मुंबई गया था। शाम को हम बांद्रा के एक फ्लैट में बैठे हुए थे। हमारे साथ विख्यात फिल्म निर्देशक महेश भट्ट, सलमान खान के पिता सलीम खान और उद्योगपति जफर सुरेशवाला थे। बातों बातों में गुजरात का जिक्र निकल आया। मोदी के जुल्मों सितम की गुजरात के मुसलमानों से अन्याय की बात भी निकली। सलीम खान कहने लगे शाहिद साहब आपने दुनिया भर के नेताओं का इंटरव्यू लिया है नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू क्यों नहीं लिया? मैंने पलटकर कहा मोदी कभी नई दुनिया को इंटरव्यू नहीं देगा। नई दुनिया मोदी का सबसे बड़ा विरोधी है और मैं हर टीवी चैनल पर मोदी के विरोध में बोलता हूं। महेश भट्ट बोले की कोशिश तो कीजिए। क्योंकि हमारे सामने मोदी की राय कभी सीधी नहीं आई। नरेंद्र मोदी भी मीडिया से दूर भागता है और मीडिया भी नरेंद्र मोदी की बात नहीं सुनना चाहता। मैंने जफर सुरेशवाला से कहा कि कोशिश करके देख लो। अगर वे राजी हो जाएं तो मुझे कोई एतराज नहीं है। मैंने 1977 में इंदिरा गांधी का इंटरव्यू उस वक्त लिया था, जब इमरजेंसी के खात्मे के बाद सब उन्हें नफरत की नजर से देखते थे। इंदिरा गांधी क्या सोचती थी? क्या चाहती थी? यह पहली बार मैंने दुनिया के सामने पेश किया था। मैंने अटल बिहारी बाजपेयी का भी इंटरव्यू लिया और आडवाणी का भी। यह तो पत्रकार का कर्तव्य है। खासतौर पर जो विरोधी हैं और जो बदनाम हैं। जिनकी राय से हम सहमत नहीं हैं। उनकी सोच भी हमारे सामने आनी चाहिए। एक सप्ताह बाद एक दिन मुझे संजय बाउसर का टेलीफोन मिला जो मोदी के सेक्रेटरी हैं। उन्होंने मुझे मोदी का इंटरव्यू करने की दावत दी। मैंने कहा कि एक शर्त यह है कि मोदी मेरे हर सवाल का जवाब देंगे। दूसरा जो मैं चाहूंगा उनसे सवाल करूंगा। मोदी के बारे में मैं जानता हूं कि उन्होंने कई बार टीवी चैनलों को इंटरव्यू देते हुए किसी सवाल से नाराज होकर इंटरव्यू को बीच में ही खत्म कर दिया था। मैं जानता था कि मेरा इंटरव्यू बहुत कड़ा होगा। मेरे सवाल हिंदुस्तान के हर सेकुलर इंसान के जेहन में उठने वाले सवाल होंगे। क्या नरेंद्र मोदी इन सवालों को बर्दाश्त करेंगे। अगले दिन संजय का फोन आया कि मोदी जी राजी हैं, आप कब आएंगे? मेरे दिल में कशमकश थी कि मैं मोदी से इंटरव्यू करूं या न करूं। आखिरकार मैंनेफैसला किया कि अपने सवाल रखने में क्या हर्ज है? गांधीनगर में मुख्यमंत्री का निवास स्थान बहुत शांत जगह पर है। हर चीज बहुत सिस्टम से थी। मोदी ने मेरे इंटरव्यू की वीडियो फिल्म बनाने और उसे टेप करने का भी फैसला किया। ताकि मैं उनकी कही हुई बातों में कोई नमक मिर्च न लगाऊं। खादी आस्तीन के गुलाबी कुरते में नरेंद्र मोदी मेरे सामने बैठे थे। एक शख्स जिसे डिक्टेटर भी कहा जाता है और हिटलर भी। मुस्लिम दुश्मन और फिरकापरस्त भी। मोदी के होठों पर मुस्कुराहट थी। मगर उनकी आंखें नहीं मुस्कुरा रही थीं। मोदी ने वायदे के अनुसार मेरे सभी सवालों के जवाब दिये मगर बहुत से सवाल वे टाल गये। अपना दामन बचा गये। मोदी बहुत मंजे हुए सियासतदान और बहुत तजुर्बेकार खिलाड़ी की तरह मेरे हर बाउंसर से बचने की कोशिश कर रहे थे। मैं मोदी क बहुत से शर्त से सहमत नहीं हूं। और न ही जवाबों से संतुष्ट हूं। फिर भी मैं उनका इंटरव्यू पेश कर रहा हूं। ताकि मोदी की सोच से वाकिफ हुआ जा सके।
शाहिद सिद्दीकी

शाहिद सिद्दीकी : नरेंद्र मोदी जी, हिंदुस्तान का आपका तस्वर (कल्पना) क्या है? क्या आप हिंदुस्तान को एक हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं? अगले पचास वर्षों में आप कैसा हिंदुस्तान बनाना चाहते हैं?
नरेन्द्र मोदी : हम एक खुशहाल भारत देखना चाहते हैं। एक मजबूत भारत देखना चाहते हैं। 21वीं सदी भारत की सदी हो, यह हमारा स्वप्न है, जिसे साकार करना है।
सिद्दीकी : कहा जाता है कि आप गुजरात को हिंदू राष्ट्र की प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर आप केंद्र में सत्तारूढ़ हो गये तो आप भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाना चाहेंगे। इसमें मुसलमानों और दूसरी अल्पसंख्यकों की कैसी जगह होगी?
मोदी : पहली बात तो यह है कि आज गुजरात में अल्पसंख्यकों की जो जगह है, वह पूरे देश की तुलना में ज्यादा अच्छी है। और दूसरे बेहतर होने की गुंजाइश इतनी ही है, जितनी किसी हिंदू की। मुसलमान को भी आगे बढ़ने का उतना ही मौका मिलना चाहिए, जितना किसी हिंदू को। अगर तशब हो तो एक घर भी नहीं चल सकता। एक बहु अच्छी लगे और दूसरी न लगे तो घर में सुकून नहीं हो सकता।
सिद्दीकी : मान लीजिए कि घर में चार बच्चे हैं। इनमें से एक किसी भी वजह से कमजोर है, पिछड़ गया है, तो क्या उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए? उसे बढ़ने के लिए अधिक अवसर नहीं मिलने चाहिए?
मोदी : यह तो हमारे संविधान में भी कहा गया है कि जो कमजोर है, पिछड़ा है, उसे अलग से सहारा मिलना चाहिए। अगर समाज इसकी जिम्मेवारी नहीं उठाएगा, तो भला कौन उठाएगा? मान लीजिए कि एक बच्चा मानसिक रूप से कमजोर है, इसके मां-बाप की जिंदगी तो उसे पालने में खप गयी! मेरा मानना है कि अगर कमजोर बच्चा है तो उसकी जिम्मेवारी सिर्फ माता-पिता की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है। अगर हम यह कहें कि यह तुम्हारे घर में पैदा हुआ है, सिर्फ तुम इसे संभाल लो तो गलत होगा।
आरक्षण
सिद्दीकी : इस मुल्क में जितने भी सर्वे हुए हैं, चाहे वह सच्चर कमेटी हो या रंगनाथ मिश्र कमीशन, सबका कहना है, खासतौर से मुसलमान, जीवन के हर क्षेत्र में, चाहे वह शिक्षा हो या आर्थिक, बहुत से कारणों से पिछड़ गये हैं। आपके विचार में उन्हें आगे लाने के लिए, उनका हक दिलाने के लिए क्या कदम उठाये जाने चाहिए? क्या उन्हें आरक्षण नहीं मिलना चाहिए? जबकि 50 फीसदी नौकरियां आरक्षण में चली गयी हैं। बाकी 50 प्रतिशत में मुसलमान मुकाबले में पीछे रह जाता है। उसके लिए सभी दरवाजे बंद हैं। उसको आगे लाने के लिए क्या करना चाहिए?
मोदी : ऐसा नहीं है। गुजरात में ओबीसी में 36 मुस्लिम बिरादरियां हैं जो पिछड़ों में आती हैं। उन्हें वे सभी सुविधाएं मिलती हैं, जो दूसरे पिछड़ों को मिलती हैं। मैं भी पिछड़ी जाति से हूं। हमें रास्ता ढूंढना होगा कि सबको इसमें हिस्सेदारी मिले। जैसे आज स्कूल हैं, टीचर हैं। इसके बावजूद लोग अनपढ़ हैं। इसका हल हमने गुजरात में ढूंढा। हमने यह अभियान चलाया कि शत प्रतिशत लड़कियों को शिक्षा मिले। जून के महीने में जब बहुत गर्मी होती है तो सारे अधिकारी, सारे मंत्री, सारी सरकार गांव-गांव और घर-घर जाते हैं। ये देखते हैं कि क्या लड़कियां पढ़ रही हैं। आज 99 प्रतिशत लड़कियां स्कूलों में हैं। इनमें सभी धर्मों की लड़कियां हैं। पहले ड्रॉप आउट 40 प्रतिशत था। आज वह मुश्किल से दो प्रतिशत ही रह गया है। अब इसका फायदा किसको मिल रहा है? मेरी हिंदू मुसलमान की फिलॉस्फी नहीं है। मैं तो सिर्फ यह देखता हूं कि गुजरात में रहने वाले हर बच्चे को हक मिले। मेरी दस साल की कोशिशों में सबसे खुशी इस बात की है कि मैं किसी हिंदू स्कूल में अभिभावकों की बैठक बुलाता हूं, तो उसमें साठ प्रतिशत आते हैं। जबकि मुसलमान क्षेत्रों की बैठकों में शत-प्रतिशत लोग आते हैं।
मुसलमान ज्यादा जाग रहे हैं
सिद्दीकी : आपने मुसलमानों के इलाकों के स्कूलों में जाकर ऐसी मीटिंगें की हैं?
मोदी : बिल्कुल, ढेर सारी। बल्कि मेरा तजुर्बा यह है कि आज शिक्षा के बारे में मुसलमान ज्यादा जागे हुए हैं। अभी मैं आपको बताऊं कि दान्ता के पास एक गांव में मैं गया। वहां 70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी थी। वहां तीन बच्चियों ने मुझसे कहा कि उन्हें मुझसे अलग से बात करनी है। मुझे नहीं पता था कि वे किस धर्म से हैं। बच्चियां सातवीं-आठवीं कक्षा की थीं। मैंने जब उनसे अलग बात की, तो यह पता चला कि वे तीनों मुसलमान हैं। उनका कहना था कि वे आगे पढ़ना चाहती हैं, मगर उनके माता-पिता इसके खिलाफ हैं। उनकी इस बात ने मेरे दिल को छुआ कि मेरे राज्य में तीन लड़कियां ऐसी हैं, जो आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री से मदद मांगने से हिचक नहीं रही हैं। मैंने इनके मां-बाप को कहलवाया कि वे लड़कियों की बात मानें। यह दो साल पहले की बात है। दोनों लड़कियां पढ़ रही हैं।
सिद्दीकी : आप ठीक कहते हैं कि पिछड़ों में मुसलमानों को हिस्सा तो दिया गया मगर मंडल के आने के बाद से पिछले 20 वर्षों में यह बात सामने आयी है कि मुसलमानों को उनका हक नहीं मिला। मिसाल के तौर पर दस नौकरियां हैं और अप्लाई करनेवाले पांच सौ हैं। इनमें 50 प्रतिशत मुसलमानों ने भी अप्लाई किया है। मगर सभी नौकरियां हिंदू पिछड़ों को दी जाती हैं। मुसलमानों को कुछ नहीं मिलता। इसलिए सच्चर कमेटी ने इस बात पर जोर दिया कि पिछड़ों को आरक्षण में से मुसलमानों का अलग हिस्सा होना चाहिए।
मोदी : भारत के संविधान निर्माताओं ने इस बात पर बहुत गहराई से विचार किया था और यह फैसला किया था कि धर्म के आधार पर कोई आरक्षण नहीं दिया जाएगा। यह खतरनाक होगा। उस वक्त तो कोई आरएसएस वाले या बजरंग दल वाले नहीं थे।
सिद्दीकी : मुस्लिम लीडरों ने और मौलाना आजाद तक ने धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध किया था। पिछले 64 वर्षों के अनुभव से हमें भी तो सीखना चाहिए। संविधान में हमने बहुत से संशोधन किये हैं। इसलिए अब 64 वर्ष बाद यदि हम मुसलमानों को उनका पिछड़ापन दूर करने के लिए आरक्षण देते हैं तो उसमें आपको क्या परेशानी है।
मोदी : नहीं, नहीं, वह यह बदलाव नहीं है। यह एक बुनियादी बात है। संविधान के बुनियादी ढांचे में कोई परिवर्तन नहीं हो सकता। मगर मैं दूसरी बात कहता हूं कि जिन राज्यों को आप प्रगतिशील और सेकुलर कहते हैं, वहां मुसलमान नौकरियों में दो प्रतिशत हैं, चार प्रतिशत हैं। गुजरात में मुसलमानों का आबादी में अनुपात 9 प्रतिशत है। मगर नौकरियों में 12 से तेरह प्रतिशत हैं। बंगाल में 25 प्रतिशत मुसलमान हैं। मगर नौकरियों में 2 प्रतिशत हैं। यह मैं नहीं कह रहा। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट कह रही है।
सिद्दीकी : गुजरात में तो मुसलमान पहले से ही आगे था। आपने कोई ऐसा कारनामा नहीं दिखाया है। मुसलमान बिजनेस में भी आगे था और तालीम में भी आगे था।
मोदी : चलिए आपकी बात मान लें। पिछले 20 सालों से गुजरात में बीजेपी की हुकूमत है। अगर हम उन्हें बर्बाद कर रहे होते तो क्या आज भी इतने ही आगे होते। अगर हमारा रुख मुस्लिम विरोधी था, तो वे क्या 20 सालों में पिछड़ न जाते? सच्चर कमेटी का सर्वे उस वक्त हुआ, जब मेरी सरकार थी। गुजरात में 85 से 95 तक सरकारी नौकरियों में भर्ती बंद थी। भर्ती तो मेरे जमाने में हुई। कुल छह लाख सरकारी नौकरियों में से तीन लाख मेरे समय में भर्ती किये गये।
सिद्दीकी : आपके समय में जो भर्ती हुई, उसमें 10 से 12 प्रतिशत मुसलमान थे।
मोदी : नहीं मैंने हिसाब नहीं लगाया है। यह मेरी फिलॉसफी नहीं है। न ही मैं हिंदू मुसलमान के बुनियाद पर हिसाब लगाऊंगा। मेरा काम है कि मेरिट के आधार पर बिना किसी भेदभाव के सबको मौका दिया जाए। अगर वे मुस्लिम हैं तो भी मिले। अगर वे हिंदू और पारसी हैं तो भी उन्हें मिलेगा। आप सच्चर कमेटी की हर बात पर विश्वास करते हैं। फिर सच्चर कमेटी ने मेरे वक्त की जो रिपोर्ट दी है, उस पर भरोसा क्यों नहीं करते?
दंगों में क्या हुआ?
सिद्दीकी : अब हम गुजरात दंगों की तरफ आएं। इस दौरान क्या हुआ? गोधरा में जो लोग जले, उनकी लाशों को अहमदाबाद क्यों लाया गया? क्या आपको अंदाजा नहीं था कि इसके नतीजे क्या होंगे?
मोदी : इस सवाल का जवाब विस्तृत रूप से मैंने एसआईटी को भी दिया है और सुप्रीम कोर्ट को भी। कोई भी लाश होगी, तो उसे वापस तो करना ही होगा। जहां सबसे ज्यादा तनाव है, वहां कोई लाश ले जा सकता है? तनाव गोधरा में था। इसलिए वहां से जली हुई लाशों को हटाना जरूरी था। ये पैसेंजर कहां जा रहे थे? यह ट्रेन अहमदबाद जा रही थी। इन लाशों को लेने वाले सब अहमदाबाद में ही थे। आपके पास लाशों को वापस करने का क्या तरीका है?
सिद्दीकी : आप किसी अस्पताल में लाकर खामोशी से उन्हें रिश्तेदारों के हवाले कर देते। उन्हें घुमाया क्‍यों गया?
मोदी : आप सच्चाई सुन लीजिए। इतनी लाशों को रखने के लिए गोधरा में जगह नहीं थी। लाशों को वहां से हटाना था। प्रशासन ने सोचा कि रात के अंधेरे में लाशें हटायी जाएं। इसीलिए उन्हें उसी रात वहां से हटाया गया। अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में ला सकते थे। मगर वह भीड़भाड़ वाला इलाका था। तनाव पैदा होता। यह प्रशासन की समझदारी थी कि सभी लाशों को शोला के अस्पताल में लाया गया। शोला बिल्कुल उस वक्त अहमदाबाद से बाहर था, जंगल था। शोला से कोई जुलूस नहीं निकला। लाशें खामोशी से रिश्तेदारों के हवाले कर दी गयीं। 13 या 14 ऐसी लाशें थीं, जिनकी पहचान नहीं हो सकीं। उनका अंतिम संस्कार भी अस्पताल के पीछे ही कर दिया गया।
दंगे क्यों नहीं रुके
सिद्दीकी : इसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। लोग मारे जा रहे थे। घर जलाये जा रहे थे। आप गुजरात के मुख्यमंत्री थे। आपको तो खबर थी कि क्या हो रहा है। अहमदाबाद में क्या हो रहा है। आपने इस खून-खराबे को रोकने के लिए क्या कदम उठाये?
मोदी : इसके लिए सबसे पहले काम हमलोगों ने यह किया कि शांति और अमन बनाये रखने की अपील की। यह मैने गोधरा से ही किया। इसके बाद अहमदाबाद आकर शाम को रेडियो टीवी से अपील की। मैंने प्रशासन से कहा कि जितनी पुलिस है, सबको लगा दो। हालांकि यह बहुत बड़ा वाकया था। पहले ऐसा नहीं हुआ। एक वह वक्त था, जब पहले कोई वाकया होता था, तो दूसरे दिन अखबार में खबर आती थी। फोटो आने में भी दो दिन लग जाते थे। इतने में आवश्यक कदम उठाने का मौका मिल जाता था। फोर्स भेजने का भी मौका मिल जाता था। आज टीवी पर घटना के चंद मिनटों बाद खबर आ जाती हैं। तस्वीरें दिखानी शुरू हो जाती हैं। प्रशासन को आज टीवी की स्पीड से मुकाबला करना पड़ता है। अहमदाबाद से बड़ौदा तो फोन चंद मिनटों में हो जाता है। मगर पुलिस फोर्स भेजनी हो, तो कम से कम दो घंटे लगेंगे। पुलिस फोर्स टीवी न्यूज की स्पीड की मुकाबला नहीं कर सकती। दूसरा मैं देश के अन्य भागों में हुए दंगों से तुलना करूं। मैं इस बात में विश्वास नहीं करता कि 1984 में दिल्ली में क्या हुआ? इसके लिए हमारे यहां हुआ तो क्या बात है? दंगा दंगा है। 1984 के दंगे में एक भी जगह गोली नहीं चली और न लाठी चार्ज हुआ। अगर लाठी चार्ज हुआ तो सिर्फ एक जगह हुआ। जहां इंदिरा गांधी की डेड बॉडी रखी हुई थी। वहां इतनी भीड़ जमा हो गयी थी कि उसको कंट्रोल करने के लिए लाठी चार्ज हुआ। लेकिन दंगा रोकने के लिए पुलिस का इस्तेमाल नहीं हुआ। गुजरात में 27 फरवरी को गुजरात में कितनी जगह गोली चली, लाठी चार्ज हुआ, कर्फ्यू लगाया गया। कार्रवाई हुई।
हिंदुओं को खुली छूट
सिद्दीकी : लेकिन आपकी पार्टी के लोग, आपके प्रशासन के अफसर यह कहते हैं कि आपने कहा कि हिंदुओं को 48 घंटे गुस्सा निकालने दो। हरेन पांड्या और संजीव भट्ट ने यह आरोप लगाया। आप इसके बारे में क्या कहते हैं?
मोदी : आपको किसी पर तो भरोसा करना होगा। मुझ पर नहीं तो सुप्रीम कोर्ट पर करें। सुप्रीम कोर्ट ने जांच करवायी। इसकी रिपोर्ट में क्या कहा गया? मैंने क्या कार्रवाई की? इसके बारे में मैं आपको पूरे तथ्य पेश कर रहा हूं। कहां-कहां गोली चली? कितने लोग मारे गये। आज तो मीडिया जागा हुआ है। कोई बात छुपती नहीं है। कोई झूठ चलता नहीं है। मैं एक बहुत महत्वपूर्ण बात बताता हूं। मगर छापना मत (इसके बाद मोदी ने फौज के बुलाने के बारे में कुछ बातें कहीं मगर उन्हें प्रकाशित करने से मना कर दिया) एक और झूठ है। 27 फरवरी को गोधरा का वाकया हुआ। 28 को दंगे भड़के। एक मार्च को फौज बुलायी गयी। मीडिया के कुछ लोग कहते हैं कि तीन दिन तक फौज नहीं बुलायी। वे यह भूल जाते हैं कि फरवरी में 28 दिन ही होते हैं। यानी हमने अगले ही दिन अहमदाबाद को फौज के हवाले कर दिया था। गाली देने से पहले तो सोच लीजिए।
दंगों की योजना पहले से ही थी
सिद्दीकी : मगर दंगे तो ऐसे हुए जैसे उनकी पहले से तैयारी थी। मुसलमानों के घर और दुकानों को चुन-चुन कर जलाया गया। जैसे पहले से ही निशान लगाये गये थे। पहले से ही प्लान तैयार था। मुसलमानों की सूचियां बनी हुई थीं।
मोदी : यह सब झूठ है। प्रॉपोगंडा है। उस वक्त की खबरें देखिए कि कितने मुसलमानों को बचाया गया है। अगर हम बचाने की कोशिश न करते तो कौन बचता? क्या-क्या कार्रवाई हुई, इसका विवरण एसआईटी के पास है।
सिद्दीकी : हिंदुस्तान के मुसलमानों के दिल में शक है, जख्म है। इसलिए लोग सच्चाई जानना चाहते हैं कि आपके मिनिस्टर पुलिस कंट्रोल रूम में मौजूद थे।
मोदी : झूठ, सरासर झूठ। तमाम सच्चाइयां एसआईटी के पास हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जांच की है। उन्होंने क्या पाया, इसका इंतजार करिए। मेरे कहने न कहने से फर्क नहीं पड़ता।
सिद्दीकी : अहमदाबाद में जो दंगे हो रहे थे, इसकी आपको पहले से ही खबर थी। क्या आपने शहर का राउंड लिया? रिफ्यूजी कैंपों में गये?
मोदी : मैं सब जगह गया। सबकी फिक्र की। यह प्रॉपोगंडा फैलाया जाता है कि रिफ्यूजी कैंप सरकार ने नहीं चलाये। हमारे यहां गुजरात में सामाजिक ढांचा बहुत मजबूत है। जब भूचाल आया था, तो भी हमने कैंप नहीं लगाये थे। हमने सारा इंतजाम अनाज, राशन आदि सामाजिक संगठनों के हवाले कर दिया था। इन शिविरों को चलाने वाले मुसलमान हो सकते हैं। मगर उनकी सारी जरूरतें सरकार पूरी कर रही थी। इसका पूरा रिकॉर्ड है। कहां क्या दिया गया। कितना अनाज और दूसरी चीजें दी गयीं? इतना ही नहीं, दसवीं के इम्तेहान थे। इसका पूरा इंतजाम हमने किये। मुसलमान बच्चों ने इम्तेहान दिये और पास हुए। इस पर भी लोग अदालत गये, मगर गलत साबित हुए। मगर कुछ लोगों ने और मीडिया ने मेरे खिलाफ झूठ फैलाने का ठेका ले रखा है।
वाजपेयी ने क्या कहा?
सिद्दीकी : उस वक्त अटल बिहारी बाजपेयी ने आपसे क्या कहा? उन्होंने आपसे कहा कि आपने राजधर्म नहीं निभाया।
मोदी : यह झूठ चलाया जाता है। अटल जी ने जिस भाषण में कहा कि राजधर्म निभाना चाहिए। उसी में उन्होंने आगे कहा था कि मुझे मालूम है कि गुजरात में राजधर्म निभाया जाता है। इसी का अगला जुमला है। मगर मीडिया उसे गायब कर देता है। हालांकि उसका वीडिया रिकॉर्ड मौजूद है।
सिद्दीकी : आज दस वर्ष दंगे को हो गये हैं। आपसे अटल जी ने क्या कहा? दंगा रोकने के लिए क्या कदम उठाये? आपसे प्रधानमंत्री की क्या बात हुई? कुछ तो बताइए।
मोदी : उन्होंने कहा कि हम मिल जुलकर बेहतर करने की कोशिश करें और हालात पर काबू पाएं।
फांसी पर लटका दो
सिद्दीकी : 1984 के दंगों की राजीव गांधी ने माफी मांगी। एचकेएल भगत, जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार के खिलाफ कार्रवाई हुई। उनका राजनीतिक कैरियर खत्म हो गया। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने भी माफी मांगी। फिर आखिर आपने 2002 के गुजरात दंगों पर माफी क्यों नहीं मांगी? अफसोस का इजहार क्यों नहीं किया? जबकि यह आपकी जिम्मेवारी थी।
मोदी : पहली बात उस वक्त मैंने क्या बयान दिये थे। उन्हें देख लीजिए। उस गर्मा-गर्मी के माहौल में मोदी ने क्या कहा? 2004 में मैंने एक इंटरव्यू में कहा था, मुझे क्यों माफ करना चाहिए? अगर मेरी सरकार ने यह दंगे करवाये, तो उसे बीच चौराहे पर फांसी लगनी चाहिए। और ऐसी फांसी होनी चाहिए कि अगले सौ साल तक किसी शासक को ऐसा पाप करने की हिम्मत न हो। जो लोग माफ करने की बात कर रहे हैं, वे पाप को बढ़ावा दे रहे हैं। अगर मोदी ने गुनाह किया है, तो उसे फांसी पर लटका दो। मगर अगर राजनीतिक कारणों से मोदी को गाली देनी है तो इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं है।
सिद्दीकी : जो हुआ उसके लिए आपके दिल में कोई दुख है? हजारों लोग मरे इसके लिए आपको कोर्इ अफसोस है? मैं एक अखबार का एडिटर हूं। अगर उसमें कोई गलत बात छपती है, तो मैं माफी मांगता हूं।
मोदी : आज माफी मांगने का क्या मतलब है। मैंने तो उसी वक्त जिम्मेवारी ली। अफसोस किया, माफी मांगी। देखिए 2002 में दंगे के बाद क्या कहा? (इसकी एक कॉपी मुझे उन्होंने दी।) आप यह तो लीखिए कि हम दस सालों से मोदी के साथ अन्याय कर रहे हैं। हमें माफी तो मोदी से मांगनी चाहिए।
इंसाफ क्यों नहीं मिला?
सिद्दीकी : चलिए दंगे हो गये। मगर इसके बाद क्या हुआ? मुसलमानों को आज तक इंसाफ नहीं मिला। आपके प्रशासन ने तो तभी सभी कातिलों को बरी कर दिया। जब तक सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी बनाकर आप पर सजा देने के लिए मजबूर नहीं किया। आपने कोई कदम नहीं उठाया।
मोदी : आप झूठे प्रचार का शिकार हो गये हैं।
सिद्दीकी : हम भी झूठ के शिकार हैं। पूरी दुनिया शिकार है।
मोदी : एक स्वार्थी ग्रुप है, वह शिकार है। जिस एसआईटी की आप बात कर रहे हैं, उसने तो छह-सात मुकदमों की जांच की है। आपकी जानकारी के लिए गुजरात में तो हजारों एफआईआर दर्ज हुए। हजारों गिरफ्तार हुए। आज तक देश में जितने दंगे हुए, 1984 के दंगों में एक भी आदमी को सजा नहीं हुई। जबकि हमारे यहां 50 केसों में सजाएं हो चुकी हैं। आप जिन दो केसों की बात करते हैं, वह गुजरात से बाहर ले गये। इनकी जांच किसने की? गुजरात पुलिस ने। गोवा कौन लाया? गुजरात पुलिस। चार्ज शीट किसने बनायी? गुजरात पुलिस ने। हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। इस मामले को गुजरात से बाहर ले गये। वही कागज, वही गवाह, वही गुजरात पुलिस की जांच। महाराष्ट्र की अदालत ने सजा दी। कोई नयी जांच तो नहीं की। आपने न्यायालय पर अविश्वास किया है। गुजरात पुलिस पर नहीं। बल्किस बानो केस की जांच गुजरात पुलिस ने की और बाद में उसे सीबीआई के हवाले कर दिया। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गुजरात पुलिस ने इस मामले में जिन्हें गिरफ्तार किया था, उन्हें सजा हुई। सीबीआई ने जिन्हें गिरफ्तार किया था, वे निर्दोष सिद्ध होकर बरी हुए। एक पुलिस वाले ने सीबीआई को कागज देने में देर की, तो उसे सजा हुई।
सिद्दीकी : पिछले दस सालों में गुजरात में मुसलमानों के फर्जी एनकाउंटर हुए। इनके केस चल रहे हैं। आपके पुलिस अधिकारी जेल में है। आपका प्रशासन…
मोदी ने बात काटते हुए कहा : सुन लीजिए… सुन लीजिए… मायावती जी ने चुनाव से पहले अपने विज्ञापन में लिखा है कि हमने 393 एनकाउंटर करके शांति स्थापित की है। मेरे यहां तो सिर्फ 12 एनकाउंटर ही हुए। इनके मुकदमे चल रहे हैं। अभी किसी को सजा नहीं हुई है। ह्यूमन राइट्स कमीशन ने कहा है कि देश में जो एनकाउंटर हुए, उनमें चार सौ फर्जी थे। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगी है कि इन सबकी जांच होनी चाहिए। ऐसा क्‍यों नहीं हो रहा है। सिर्फ गुजरात के एनकाउंटरों की जांच हो रही है। देश के बाकी हिस्सों में होनेवाले एनकाउंटरों की जांच क्यों नहीं?
सिद्दीकी : ऐसा क्यों हो रहा है?
मोदी : क्योंकि गुजरात को निशाना बनाया गया है। मुंबई में एनकाउंटर हो रहे हैं। मगर उनकी जांच नहीं हो रही। हर पार्टी गुजरात को बदनाम करने लगी है। वह ऐसा कर रही है।
सिद्दीकी : क्या कांग्रेस ऐसा कर रही है?
मोदी : जो भी पार्टी गुजरात को बदनाम करने में लगी है, वह ऐसा कर रही है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता।
मोदी तानाशाह है
सिद्दीकी : मगर आपकी अपनी पार्टी के लोग विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, आरएसएस के लोग यह इल्जाम लगाते हैं कि आप एक डिक्टेटर हैं। लोगों की जुबान बंद कर देते हैं। वे तो आपके विरोधी नहीं। आपकी अपनी पार्टी के हैं।
मोदी : मेरे पास कोई ऐसी जानकारी नहीं मगर फिर भी कोई ऐसा कहता है तो यह लोकतंत्र है।
मोदी प्रधानमंत्री
सिद्दीकी : कहा जाता है कि आप देश का प्रधानमंत्री बनने की तैयारी कर रहे हैं। आप गुजरात से निकल कर राष्ट्रीय राजनीति की जिम्मेवारी संभालना चाहते हैं। अगर आप देश के प्रधानमंत्री बनें, तो आपके क्या पांच महत्वपूर्ण काम होंगे।
मोदी : देखिए, मैं बुनियादी तौर पर संगठन का व्यक्ति हूं। कुछ खास परिस्थितियों में मैं मुख्यमंत्री बन गया। जिंदगी में मैं किसी स्कूल के मॉनिटर का भी चुनाव नहीं लड़ा था। मैं कभी किसी का एलेक्शन एजेंट भी नहीं बना। मैं तो इस दुनिया का इंसान ही नहीं हूं। न ही इस दुनिया से मेरा कुछ लेना देना रहा। आज मेरी मंजिल है छह करोड़ गुजराती। उनकी भलाई, उनका सुख। मैं अगर गुजरात में अच्छा काम करता हूं, तो यूपी और बिहार के दस लोगों की नौकरी लगती है। मैं हिंदुस्तान की सेवा गुजरात के विकास द्वारा करूंगा। गुजरात में अगर नमक अच्छा पैदा होगा, तो सारा देश गुजरात का नमक खाएगा। मैंने गुजरात का नमक खाया है और सारे देश को गुजरात का नमक खिलाता हूं।
मुसलमानों के लिए क्या किया?
सिद्दीकी : आखिर आपने गुजरात के मुसलमानों की भलाई के लिए कोई काम किया?
मोदी : मैं हिंदू मुसलमान की सोच नहीं रखता। मैंने तो यह देखा है कि जो पिछड़ा हुआ है, उसे आगे बढ़ाया जाए। समुंदर के तटीय क्षेत्र में मुसलमान ज्यादा हैं। हमने 1500 करोड़ का पैकेज दिया है। वहां हमने आईआईटी खोले हैं। स्कूल खोले हैं। मछुआरों के बच्चों को विमान चालन के बारे में बताया है। मछुआरों को छह महीने रोटी मिलती है। मैंने वहां पर सीवीड उगाने का काम किया है। ताकि मछुआरों को रोजी मिल सके।
मोदी की पतंग
सिद्दीकी : अहमदाबाद में बहुत से इलाके दलितों और मुसलमानों के ऐसे हैं, जो पिछड़े हैं। वहां बैंक नहीं हैं। अस्पताल नहीं हैं।
मोदी : यहां शहरी समृद्धि योजना है। इसके तहत काम हो रहा है। कंप्यूटर की शिक्षा दी जा रही है। बैंक नहीं हैं। यह काम केंद्र का है। आपकी प्रिय कांग्रेस सरकार का काम है। गुजरात में पतंगबाजी बहुत बड़ा उद्योग है। इसे 99 प्रतिशत मुसलमान चलाते हैं। मैंने इसका गहराई से अध्ययन किया है। मैं बोलना शुरू करूं, तो आप भी पतंगबाजी पर मुझे पीएचडी की डिग्री दे देंगे। अहमदाबाद में जो पतंग बनती थी, वह 34 जगह जाती थीं। कही बांस बनता था तो कहीं गुंद, कहीं कागज। इससे काफी महंगा पड़ता था। मैंने रिसर्च करवायी। पहले यह पतंग उद्योग 8-9 करोड़ का था, आज 50 करोड़ का है। पहले पतंग का कागज तीन रंगों का अलग-अलग लगता है। मैंने कागज वालों से कहा कि वो एक ही कागज का तीन रंग का छाप दें। पतंग का बांस असम से आता है। मैंने रिसर्च करवाया अब गुजरात में ही बांस पैदा हो रहे हैं। आज हम सबसे ज्यादा चीनी वाला गन्‍ना पैदा कर रहे हैं। यह फायदा किसे मिला? आप कहेंगे मुसलमान को मिला। मैं कहूंगा मेरे गुजरातियों को मिला।
मोदी का सेकुलरिज्म
सिद्दीकी : मोदी जी, क्या आप हिंदुस्तान को सेकुलर मुल्क बनाये रखना चाहेंगे। क्या आपका सेकुलरवाद में विश्वास है?
मोदी : जो लोग हिंदुस्तान को सेकुलरिज्म सिखा रहे हैं, वे अब देश की तौहीन कर रहे हैं। यह देश शुरू से ही सेकुलर है। भारत अफगानिस्तान का हिस्सा था, तब भी वह सेकुलर था। पाकिस्तान में भी जब तक हिंदू थे, वह सेकुलर था। बांग्लादेश सेकुलर था। आप यह देखिए कि कौन सी पार्टी है, जिसने देश से सेकुलरिज्म को खत्म किया?
सिद्दीकी : आप एक शब्द इस्तेमाल करते हैं, सोडो सेकुलरिज्म। इसका क्या मतलब है?
मोदी : सोडो सेकुलर वे होते हैं, जो नाम के सेकुलर होते हैं काम के नहीं। जो उपदेश बड़े-बड़े देते हैं, काम फिरकापरस्ती के करते हैं। अब हमारे यहां भाजपा के एक लीडर थे, शंकर सिंह वाघेला। आज वे कांग्रेस के बहुत बड़े सेकुलर लीडर बन गये हैं। आप में से कोई उनसे यह पूछे कि जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया, तो उस वक्त वे कहां थे? वे किस स्टेज पर खड़े हुए थे? अब वे कांग्रेस में शामिल हो गये तो सेकुलर हो गये। उनके सब पाप धुल गये। वे मुसलमानों से कहते हैं कि मुझे वोट दो, क्योंकि मैं मोदी से लड़ रहा हूं। हम इसको सोडो सेकुलरिज्म कहते हैं।
अखंड भारत
सिद्दीकी : क्या आप फिर भारत को अखंड भारत बनाना चाहते हैं? क्या आपका यह स्वप्न है?
मोदी : मेरा स्वप्न है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक रहे, नेक रहे। सब सुखी रहें। सबका कल्याण हो। जो साम्राज्यवादी मनोवृत्ति के लोग हैं, वे पाकिस्तान में अखंड भारत का आंदोलन चला रहे हैं। पाकिस्तान में आंदोलन चल रहा है कि पाकिस्तान, हिंदुस्तान और बांग्लादेश एक हो जाएं ताकि यहां पर मुसलमान बहुसंख्यक हो जाएं। आजकल आपलोगों के भी मुंह में पानी आ रहा है। इसलिए कि आप अखंड भारत के नाम पर मुस्लिम बहुल देश बनाना चाहते हैं। सब मुसलमानों को इकट्ठा करके हिंदुस्तानी मुसलमानों को आगे लाकर तनाव पैदा किया जाए। आपका भी यह सपना होगा।
सिद्दीकी : मेरा सपना तो संयुक्त हिंदुस्तान का था। मेरे पिता ने देश के विभाजन का विरोध किया था। पाकिस्तान बनने का विरोध किया था। हमारा स्वप्न तो पूरे उपमहाद्वीप में शांति स्थापित करने का है।
हिंदू आतंकवाद
सिद्दीकी : गत दिनों आतंकवाद बढ़ा है। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता मगर आज कुछ हिंदू भी आतंकवादी बने हैं, तो इसका मुकाबला करने के लिए क्या कदम उठाये जाएं।
मोदी : सख्त कानून बनाया जाए।
सिद्दीकी : आपने तो सख्त कानून पोटा के तहत सिर्फ मुसलमानों को पकड़ा है।
मोदी : हमने जिन्हें गिरफ्तार किया, इनके मामले सुप्रीम कोर्ट तक गये। मगर अदालत में एक भी केस गलत नहीं पाया गया। देश के दूसरे हिस्से में पोटा का गलत इस्तेमाल हुआ हो, मगर गुजरात में नहीं हुआ। हमारा पोटा लगाया हुआ एक भी केस झूठा नहीं निकला। जब यहां कांग्रेस की सरकार थी, हजारों लोग टाडा में गिरफ्तार हुए। उस वक्त भाजपा के अध्यक्ष मक्रांत देसाई थे। उन्होंने टाडा के खिलाफ कांफ्रेंस की। उन्होंने दुनिया को दिखाया कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया, उनमें 80 प्रतिशत मुसलमान थे।
सिद्दीकी : सीमी पर तो पाबंदी तो लगा दी गयी। मगर आपलोग अभिनव भारत पर पाबंदी लगाने की मांग क्यों नहीं करते?
मोदी : अभी तक अभिनव भारत की संगठन की कोई तस्वीर सामने नहीं आयी। इंडियन मुजाहिदीन की तस्वीर भी सामने नहीं आयी। ये हैं क्या? उन्‍हें कौन चला रहा है? सरकार बताये। पहले पता लगे। तभी तो आप संगठन पर पाबंदी लगाएंगे। सिर्फ गुब्बारे छोड़ने से क्या फायदा। कांग्रेस कभी अभिनव भारत का गुब्बारा छोड़ती है और कभी इंडियन मुजाहिद्दीन का, मगर जनता के सामने न पूरी सच्चाई रखती है न पूरी तस्वीर।
सिद्दीकी : गुजरात के चुनाव नजदीक हैं। आप क्या समझते हैं आपके लिए सबसे बड़ा चैलेंज क्या है?
मोदी : हम खुद ही अपने लिए सबसे बड़ा चैलेंज हैं। क्योंकि हमने स्तर इतना बुलंद कर लिया है कि लोग हमारे स्तर पर हमें नापते हैं। मोदी 16 घंटे काम करता है, तो लोग कहते हैं कि अठारह घंटे क्यों नहीं? लोगों की आकांक्षाएं मोदी से बहुत ज्यादा हैं। इसलिए हमें अपने रिकॉर्ड खुद ही तोड़ने पड़ते हैं।
मोदी के खिलाफ बगावत
सिद्दीकी : आज आपकी पार्टी के अंदर बगावत है। आपके खिलाफ चैलेंज है।
मोदी : यह मैंने जनता पर छोड़ दिया है। वह फैसला करे। मैंने पिछले दस वर्षों में हर चुनाव जीता है। मुझे उम्मीद है कि हम यह भी जीतेंगे।
सिद्दीकी : आप मुसलमानों को कोई संदेश देना चाहेंगे।
मोदी : भाई, मैं बहुत छोटा इंसान हूं। मुझे किसी को पैगाम देने का हक नहीं है। खादिम हूं। खिदमत करता रहूंगा। मैं अपने मुसलमान भाइयों से कहना चाहूंगा कि वे किसी के लिए सिर्फ एक वोट बनकर न रहें। आज हिंदुस्तान की राजनीति में मुसलमान को सिर्फ वोट बना दिया गया है। मुसलमान स्वप्न देखें। उनके स्वप्न उनके बच्चों के स्वप्न पूरे हों। वे वोटर रहें और अपने वोट का खुलकर इस्तेमाल करें। मगर उन्हें इसके आगे एक इंसान एक भारतीय के रूप में देखा जाए। उनकी तकलीफों को समझा जाए। मैं अगर उनके किसी काम आ सकता हूं, तो आऊंगा। मगर उन्हें भी खुले दिमाग से देखना होगा। सोचना होगा।
मेरे पास और भी अभी बहुत सारे सवाल थे। मगर इंटरव्यू चलते डेढ़ घंटा हो चुका था। मोदी को भी जाना था और मुझे भी फ्लाइट पकड़नी थी। इसलिए बहुत से सवाल रह गये। मगर फिर भी मैं ज्यादातर सवाल पूछने में सफल रहा।
शाहिद सिद्दीकी
Mohalla live

Tuesday, July 10, 2012

BURMAA MEY FASAADAAT


Hum

Aaj Kuch Sachaa waqiya likhne ko ji cahta hai Mera dost Jo 3 bachho kaa baap hai  uoska cheraa baar baar Samne guom Rahaa hai Dindaar Mahentu charepe dhaadi aur majboot jism ke saath himaatwala dil uoskaa magar 2 dinse kuch sukha huva uoska chaeraa bhuja bhujaasha lagtaa hai.aur gumsum fikarmand aur jaise uosko koi badaa sadmaa pahucha ho maine jaan ne ki kosis ki ke Akhir baat kiyaa hai muje pataa chalaa uoski ek ladki ko wo collage padaa ta thaa uosne court mai jaakar love mereige kar liyaa or uosladki ke dost ne ladkike ghar yaani ladki ke baap ko Notice bi bhej di ki tumhari ladkiki saath meraa court mai merage ho gyaa hai jabse maano uos inshan ke shar par pahaad saa tout padaa Akhir ek baap thaa aur har maa baap apni auolad ka achha hi sochte hai ki inko achhi taalim di jaaye achhi zindagi di jaaye aur bade ho to waqt aane par inko achhe khandan dini rishtedar ya aur kahi achhi jagah shadi kar di jaaye magar jab bachhe ghar ke bahaar collage ke mahol mai jaate hai to bahaar ki jaharili havaa itni kharaab hoti hai ke apne khandani achheghar wale bachho ka dil dimaag bigaad deti hai kuch badmaash lukkhe haraamkhor kisam ke inshano ki soch aur dhanda hi ye hotaa hai ki achhe sarif khandan paisewale ghar ki ladkiyo ko pataaya jaaye fouslaaya jaaye aur uonhe juthe piyar mohabbat ke sapne bataakar apni jaal mai fasaakar blackmail kiyaa jaaye yaa uoshki jindagi ke saath khelkar aiyaasi aur jishmaani havas puri ki jaaye fir kuch mahine yaa saal baad uos ladki ko chhodkar dusri ko fasaayaa jaay easaa uon haraamkhoro ka dhanda chalte rahta hai uonke kai agent dalaal male female hote hai jo pura dhiyaan rakhte hai ease achhe gharane ki ladkiyo pe are maanlo ladki khubsurat dikhne ke liye beautiparlor mai jaati hai to wo log bi is kaarobaar ke naam par ladkiyo ke jishmoka soda yaa fasane fuslaane kaa kaam karte hai Akhbaaro mai surat ke kai waqiyaat aese aachuke hai koi himmat karke puolish ko khabar detaa hai to pulish aese parlaro par red daalti hai kuch wakt ke liye band hotaa hai aur fir suru hojaata hai ye dhandaa yaa dusre jagaah dhandaa chalaate hai hamaare samaaj ke liye kitni buri baat hai ye ham ek baaju se vikaash aur tarakki ke dinge maarte hai aur dusri baaju maushare mai aese or isse kai dginone kaam chalte hai  jisse izzatdar  inshan marne pe majbur ho jaata hai yaa mar mar ke jitaa hai aaj aapko bade sahro mai hi nahi chhote kashbe our gauno tak kaa mahol bigad chukaa hai aur ham tarakki ki baatey kar rahe hai.
      uosh badkishmat beti ke baapne apni bachhi ke liye apne rishtedar mai achha gharana dhundathaa aur maa baap soch rahe te ki beti padle fir uoski achhi tarike se shaadi karaadege to hamaare jimme se ek jimmedari yaa fariza puraa hogaa magar afsos ladki ki bhoulne or jid ne maabaap ke sapno pe paani fer diyaa khair aap dekho ge aese har sahar mai har jagah bahot waqiye bante hai jo ham sab ke liye ek red singnal hai aaj kaa achha imaandar dindar inshan ka is duniya mai salaamat rahena muje naamumkin lagtaa hai yaa fir log bichare majboor hokar ji lete hai.
     Muje yaad Aarahaa hai ek Allah wale jo apne bayaan mai kahaa karte they ki tum paisha lelo kuch bi karlo bhai ham lok makaan banaa kar bhaaduti dete hai bhada aataa hai to achh lagtaa hai lekin kiyaa aapne kabhi dekha hai wohi tumahare bhaadoti makaan mai aurte bahan betiyaa or dighar log jo chaddi baniyan yaa khule pet ourto ki baalti yaa dram mai paani daale,tumne dekh hai toilet ki laion mae javaan javaan bachhiyaa aur nange chaddi pahne muh me datan chabaate huve mardo ko?
    kiyaa tumhe rupiyo se itni mohabbat hai ki tumhari yaani kom ki maa bahan betyo kaa kuch bi ho kiyaa tumhaare zamir margaye hai?to fir Allah ka azab na aaye to kiyaa aayegaa?

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