Monday, July 30, 2012

Modi Interview

मुसलमान भाइयों से अपील है कि वे सिर्फ वोट बन कर न रहें

29 July 2012 12 Comments
नरेंद्र मोदी से उर्दू साप्‍ताहिक नई दुनिया के संपादक शाहिद सिद्दीकी का इंटरव्यू
यही वो इंटरव्‍यू है, जिसके प्रकाशन के बाद समाजवादी पार्टी ने शाहिद सिद्दीकी से किनारा कर लिया।
दो सप्ताह पूर्वमैं हेमा मालिनी की पुत्री की शादी में भाग लेने के लिए मुंबई गया था। शाम को हम बांद्रा के एक फ्लैट में बैठे हुए थे। हमारे साथ विख्यात फिल्म निर्देशक महेश भट्ट, सलमान खान के पिता सलीम खान और उद्योगपति जफर सुरेशवाला थे। बातों बातों में गुजरात का जिक्र निकल आया। मोदी के जुल्मों सितम की गुजरात के मुसलमानों से अन्याय की बात भी निकली। सलीम खान कहने लगे शाहिद साहब आपने दुनिया भर के नेताओं का इंटरव्यू लिया है नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू क्यों नहीं लिया? मैंने पलटकर कहा मोदी कभी नई दुनिया को इंटरव्यू नहीं देगा। नई दुनिया मोदी का सबसे बड़ा विरोधी है और मैं हर टीवी चैनल पर मोदी के विरोध में बोलता हूं। महेश भट्ट बोले की कोशिश तो कीजिए। क्योंकि हमारे सामने मोदी की राय कभी सीधी नहीं आई। नरेंद्र मोदी भी मीडिया से दूर भागता है और मीडिया भी नरेंद्र मोदी की बात नहीं सुनना चाहता। मैंने जफर सुरेशवाला से कहा कि कोशिश करके देख लो। अगर वे राजी हो जाएं तो मुझे कोई एतराज नहीं है। मैंने 1977 में इंदिरा गांधी का इंटरव्यू उस वक्त लिया था, जब इमरजेंसी के खात्मे के बाद सब उन्हें नफरत की नजर से देखते थे। इंदिरा गांधी क्या सोचती थी? क्या चाहती थी? यह पहली बार मैंने दुनिया के सामने पेश किया था। मैंने अटल बिहारी बाजपेयी का भी इंटरव्यू लिया और आडवाणी का भी। यह तो पत्रकार का कर्तव्य है। खासतौर पर जो विरोधी हैं और जो बदनाम हैं। जिनकी राय से हम सहमत नहीं हैं। उनकी सोच भी हमारे सामने आनी चाहिए। एक सप्ताह बाद एक दिन मुझे संजय बाउसर का टेलीफोन मिला जो मोदी के सेक्रेटरी हैं। उन्होंने मुझे मोदी का इंटरव्यू करने की दावत दी। मैंने कहा कि एक शर्त यह है कि मोदी मेरे हर सवाल का जवाब देंगे। दूसरा जो मैं चाहूंगा उनसे सवाल करूंगा। मोदी के बारे में मैं जानता हूं कि उन्होंने कई बार टीवी चैनलों को इंटरव्यू देते हुए किसी सवाल से नाराज होकर इंटरव्यू को बीच में ही खत्म कर दिया था। मैं जानता था कि मेरा इंटरव्यू बहुत कड़ा होगा। मेरे सवाल हिंदुस्तान के हर सेकुलर इंसान के जेहन में उठने वाले सवाल होंगे। क्या नरेंद्र मोदी इन सवालों को बर्दाश्त करेंगे। अगले दिन संजय का फोन आया कि मोदी जी राजी हैं, आप कब आएंगे? मेरे दिल में कशमकश थी कि मैं मोदी से इंटरव्यू करूं या न करूं। आखिरकार मैंनेफैसला किया कि अपने सवाल रखने में क्या हर्ज है? गांधीनगर में मुख्यमंत्री का निवास स्थान बहुत शांत जगह पर है। हर चीज बहुत सिस्टम से थी। मोदी ने मेरे इंटरव्यू की वीडियो फिल्म बनाने और उसे टेप करने का भी फैसला किया। ताकि मैं उनकी कही हुई बातों में कोई नमक मिर्च न लगाऊं। खादी आस्तीन के गुलाबी कुरते में नरेंद्र मोदी मेरे सामने बैठे थे। एक शख्स जिसे डिक्टेटर भी कहा जाता है और हिटलर भी। मुस्लिम दुश्मन और फिरकापरस्त भी। मोदी के होठों पर मुस्कुराहट थी। मगर उनकी आंखें नहीं मुस्कुरा रही थीं। मोदी ने वायदे के अनुसार मेरे सभी सवालों के जवाब दिये मगर बहुत से सवाल वे टाल गये। अपना दामन बचा गये। मोदी बहुत मंजे हुए सियासतदान और बहुत तजुर्बेकार खिलाड़ी की तरह मेरे हर बाउंसर से बचने की कोशिश कर रहे थे। मैं मोदी क बहुत से शर्त से सहमत नहीं हूं। और न ही जवाबों से संतुष्ट हूं। फिर भी मैं उनका इंटरव्यू पेश कर रहा हूं। ताकि मोदी की सोच से वाकिफ हुआ जा सके।
शाहिद सिद्दीकी

शाहिद सिद्दीकी : नरेंद्र मोदी जी, हिंदुस्तान का आपका तस्वर (कल्पना) क्या है? क्या आप हिंदुस्तान को एक हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं? अगले पचास वर्षों में आप कैसा हिंदुस्तान बनाना चाहते हैं?
नरेन्द्र मोदी : हम एक खुशहाल भारत देखना चाहते हैं। एक मजबूत भारत देखना चाहते हैं। 21वीं सदी भारत की सदी हो, यह हमारा स्वप्न है, जिसे साकार करना है।
सिद्दीकी : कहा जाता है कि आप गुजरात को हिंदू राष्ट्र की प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर आप केंद्र में सत्तारूढ़ हो गये तो आप भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाना चाहेंगे। इसमें मुसलमानों और दूसरी अल्पसंख्यकों की कैसी जगह होगी?
मोदी : पहली बात तो यह है कि आज गुजरात में अल्पसंख्यकों की जो जगह है, वह पूरे देश की तुलना में ज्यादा अच्छी है। और दूसरे बेहतर होने की गुंजाइश इतनी ही है, जितनी किसी हिंदू की। मुसलमान को भी आगे बढ़ने का उतना ही मौका मिलना चाहिए, जितना किसी हिंदू को। अगर तशब हो तो एक घर भी नहीं चल सकता। एक बहु अच्छी लगे और दूसरी न लगे तो घर में सुकून नहीं हो सकता।
सिद्दीकी : मान लीजिए कि घर में चार बच्चे हैं। इनमें से एक किसी भी वजह से कमजोर है, पिछड़ गया है, तो क्या उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए? उसे बढ़ने के लिए अधिक अवसर नहीं मिलने चाहिए?
मोदी : यह तो हमारे संविधान में भी कहा गया है कि जो कमजोर है, पिछड़ा है, उसे अलग से सहारा मिलना चाहिए। अगर समाज इसकी जिम्मेवारी नहीं उठाएगा, तो भला कौन उठाएगा? मान लीजिए कि एक बच्चा मानसिक रूप से कमजोर है, इसके मां-बाप की जिंदगी तो उसे पालने में खप गयी! मेरा मानना है कि अगर कमजोर बच्चा है तो उसकी जिम्मेवारी सिर्फ माता-पिता की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है। अगर हम यह कहें कि यह तुम्हारे घर में पैदा हुआ है, सिर्फ तुम इसे संभाल लो तो गलत होगा।
आरक्षण
सिद्दीकी : इस मुल्क में जितने भी सर्वे हुए हैं, चाहे वह सच्चर कमेटी हो या रंगनाथ मिश्र कमीशन, सबका कहना है, खासतौर से मुसलमान, जीवन के हर क्षेत्र में, चाहे वह शिक्षा हो या आर्थिक, बहुत से कारणों से पिछड़ गये हैं। आपके विचार में उन्हें आगे लाने के लिए, उनका हक दिलाने के लिए क्या कदम उठाये जाने चाहिए? क्या उन्हें आरक्षण नहीं मिलना चाहिए? जबकि 50 फीसदी नौकरियां आरक्षण में चली गयी हैं। बाकी 50 प्रतिशत में मुसलमान मुकाबले में पीछे रह जाता है। उसके लिए सभी दरवाजे बंद हैं। उसको आगे लाने के लिए क्या करना चाहिए?
मोदी : ऐसा नहीं है। गुजरात में ओबीसी में 36 मुस्लिम बिरादरियां हैं जो पिछड़ों में आती हैं। उन्हें वे सभी सुविधाएं मिलती हैं, जो दूसरे पिछड़ों को मिलती हैं। मैं भी पिछड़ी जाति से हूं। हमें रास्ता ढूंढना होगा कि सबको इसमें हिस्सेदारी मिले। जैसे आज स्कूल हैं, टीचर हैं। इसके बावजूद लोग अनपढ़ हैं। इसका हल हमने गुजरात में ढूंढा। हमने यह अभियान चलाया कि शत प्रतिशत लड़कियों को शिक्षा मिले। जून के महीने में जब बहुत गर्मी होती है तो सारे अधिकारी, सारे मंत्री, सारी सरकार गांव-गांव और घर-घर जाते हैं। ये देखते हैं कि क्या लड़कियां पढ़ रही हैं। आज 99 प्रतिशत लड़कियां स्कूलों में हैं। इनमें सभी धर्मों की लड़कियां हैं। पहले ड्रॉप आउट 40 प्रतिशत था। आज वह मुश्किल से दो प्रतिशत ही रह गया है। अब इसका फायदा किसको मिल रहा है? मेरी हिंदू मुसलमान की फिलॉस्फी नहीं है। मैं तो सिर्फ यह देखता हूं कि गुजरात में रहने वाले हर बच्चे को हक मिले। मेरी दस साल की कोशिशों में सबसे खुशी इस बात की है कि मैं किसी हिंदू स्कूल में अभिभावकों की बैठक बुलाता हूं, तो उसमें साठ प्रतिशत आते हैं। जबकि मुसलमान क्षेत्रों की बैठकों में शत-प्रतिशत लोग आते हैं।
मुसलमान ज्यादा जाग रहे हैं
सिद्दीकी : आपने मुसलमानों के इलाकों के स्कूलों में जाकर ऐसी मीटिंगें की हैं?
मोदी : बिल्कुल, ढेर सारी। बल्कि मेरा तजुर्बा यह है कि आज शिक्षा के बारे में मुसलमान ज्यादा जागे हुए हैं। अभी मैं आपको बताऊं कि दान्ता के पास एक गांव में मैं गया। वहां 70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी थी। वहां तीन बच्चियों ने मुझसे कहा कि उन्हें मुझसे अलग से बात करनी है। मुझे नहीं पता था कि वे किस धर्म से हैं। बच्चियां सातवीं-आठवीं कक्षा की थीं। मैंने जब उनसे अलग बात की, तो यह पता चला कि वे तीनों मुसलमान हैं। उनका कहना था कि वे आगे पढ़ना चाहती हैं, मगर उनके माता-पिता इसके खिलाफ हैं। उनकी इस बात ने मेरे दिल को छुआ कि मेरे राज्य में तीन लड़कियां ऐसी हैं, जो आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री से मदद मांगने से हिचक नहीं रही हैं। मैंने इनके मां-बाप को कहलवाया कि वे लड़कियों की बात मानें। यह दो साल पहले की बात है। दोनों लड़कियां पढ़ रही हैं।
सिद्दीकी : आप ठीक कहते हैं कि पिछड़ों में मुसलमानों को हिस्सा तो दिया गया मगर मंडल के आने के बाद से पिछले 20 वर्षों में यह बात सामने आयी है कि मुसलमानों को उनका हक नहीं मिला। मिसाल के तौर पर दस नौकरियां हैं और अप्लाई करनेवाले पांच सौ हैं। इनमें 50 प्रतिशत मुसलमानों ने भी अप्लाई किया है। मगर सभी नौकरियां हिंदू पिछड़ों को दी जाती हैं। मुसलमानों को कुछ नहीं मिलता। इसलिए सच्चर कमेटी ने इस बात पर जोर दिया कि पिछड़ों को आरक्षण में से मुसलमानों का अलग हिस्सा होना चाहिए।
मोदी : भारत के संविधान निर्माताओं ने इस बात पर बहुत गहराई से विचार किया था और यह फैसला किया था कि धर्म के आधार पर कोई आरक्षण नहीं दिया जाएगा। यह खतरनाक होगा। उस वक्त तो कोई आरएसएस वाले या बजरंग दल वाले नहीं थे।
सिद्दीकी : मुस्लिम लीडरों ने और मौलाना आजाद तक ने धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध किया था। पिछले 64 वर्षों के अनुभव से हमें भी तो सीखना चाहिए। संविधान में हमने बहुत से संशोधन किये हैं। इसलिए अब 64 वर्ष बाद यदि हम मुसलमानों को उनका पिछड़ापन दूर करने के लिए आरक्षण देते हैं तो उसमें आपको क्या परेशानी है।
मोदी : नहीं, नहीं, वह यह बदलाव नहीं है। यह एक बुनियादी बात है। संविधान के बुनियादी ढांचे में कोई परिवर्तन नहीं हो सकता। मगर मैं दूसरी बात कहता हूं कि जिन राज्यों को आप प्रगतिशील और सेकुलर कहते हैं, वहां मुसलमान नौकरियों में दो प्रतिशत हैं, चार प्रतिशत हैं। गुजरात में मुसलमानों का आबादी में अनुपात 9 प्रतिशत है। मगर नौकरियों में 12 से तेरह प्रतिशत हैं। बंगाल में 25 प्रतिशत मुसलमान हैं। मगर नौकरियों में 2 प्रतिशत हैं। यह मैं नहीं कह रहा। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट कह रही है।
सिद्दीकी : गुजरात में तो मुसलमान पहले से ही आगे था। आपने कोई ऐसा कारनामा नहीं दिखाया है। मुसलमान बिजनेस में भी आगे था और तालीम में भी आगे था।
मोदी : चलिए आपकी बात मान लें। पिछले 20 सालों से गुजरात में बीजेपी की हुकूमत है। अगर हम उन्हें बर्बाद कर रहे होते तो क्या आज भी इतने ही आगे होते। अगर हमारा रुख मुस्लिम विरोधी था, तो वे क्या 20 सालों में पिछड़ न जाते? सच्चर कमेटी का सर्वे उस वक्त हुआ, जब मेरी सरकार थी। गुजरात में 85 से 95 तक सरकारी नौकरियों में भर्ती बंद थी। भर्ती तो मेरे जमाने में हुई। कुल छह लाख सरकारी नौकरियों में से तीन लाख मेरे समय में भर्ती किये गये।
सिद्दीकी : आपके समय में जो भर्ती हुई, उसमें 10 से 12 प्रतिशत मुसलमान थे।
मोदी : नहीं मैंने हिसाब नहीं लगाया है। यह मेरी फिलॉसफी नहीं है। न ही मैं हिंदू मुसलमान के बुनियाद पर हिसाब लगाऊंगा। मेरा काम है कि मेरिट के आधार पर बिना किसी भेदभाव के सबको मौका दिया जाए। अगर वे मुस्लिम हैं तो भी मिले। अगर वे हिंदू और पारसी हैं तो भी उन्हें मिलेगा। आप सच्चर कमेटी की हर बात पर विश्वास करते हैं। फिर सच्चर कमेटी ने मेरे वक्त की जो रिपोर्ट दी है, उस पर भरोसा क्यों नहीं करते?
दंगों में क्या हुआ?
सिद्दीकी : अब हम गुजरात दंगों की तरफ आएं। इस दौरान क्या हुआ? गोधरा में जो लोग जले, उनकी लाशों को अहमदाबाद क्यों लाया गया? क्या आपको अंदाजा नहीं था कि इसके नतीजे क्या होंगे?
मोदी : इस सवाल का जवाब विस्तृत रूप से मैंने एसआईटी को भी दिया है और सुप्रीम कोर्ट को भी। कोई भी लाश होगी, तो उसे वापस तो करना ही होगा। जहां सबसे ज्यादा तनाव है, वहां कोई लाश ले जा सकता है? तनाव गोधरा में था। इसलिए वहां से जली हुई लाशों को हटाना जरूरी था। ये पैसेंजर कहां जा रहे थे? यह ट्रेन अहमदबाद जा रही थी। इन लाशों को लेने वाले सब अहमदाबाद में ही थे। आपके पास लाशों को वापस करने का क्या तरीका है?
सिद्दीकी : आप किसी अस्पताल में लाकर खामोशी से उन्हें रिश्तेदारों के हवाले कर देते। उन्हें घुमाया क्‍यों गया?
मोदी : आप सच्चाई सुन लीजिए। इतनी लाशों को रखने के लिए गोधरा में जगह नहीं थी। लाशों को वहां से हटाना था। प्रशासन ने सोचा कि रात के अंधेरे में लाशें हटायी जाएं। इसीलिए उन्हें उसी रात वहां से हटाया गया। अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में ला सकते थे। मगर वह भीड़भाड़ वाला इलाका था। तनाव पैदा होता। यह प्रशासन की समझदारी थी कि सभी लाशों को शोला के अस्पताल में लाया गया। शोला बिल्कुल उस वक्त अहमदाबाद से बाहर था, जंगल था। शोला से कोई जुलूस नहीं निकला। लाशें खामोशी से रिश्तेदारों के हवाले कर दी गयीं। 13 या 14 ऐसी लाशें थीं, जिनकी पहचान नहीं हो सकीं। उनका अंतिम संस्कार भी अस्पताल के पीछे ही कर दिया गया।
दंगे क्यों नहीं रुके
सिद्दीकी : इसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। लोग मारे जा रहे थे। घर जलाये जा रहे थे। आप गुजरात के मुख्यमंत्री थे। आपको तो खबर थी कि क्या हो रहा है। अहमदाबाद में क्या हो रहा है। आपने इस खून-खराबे को रोकने के लिए क्या कदम उठाये?
मोदी : इसके लिए सबसे पहले काम हमलोगों ने यह किया कि शांति और अमन बनाये रखने की अपील की। यह मैने गोधरा से ही किया। इसके बाद अहमदाबाद आकर शाम को रेडियो टीवी से अपील की। मैंने प्रशासन से कहा कि जितनी पुलिस है, सबको लगा दो। हालांकि यह बहुत बड़ा वाकया था। पहले ऐसा नहीं हुआ। एक वह वक्त था, जब पहले कोई वाकया होता था, तो दूसरे दिन अखबार में खबर आती थी। फोटो आने में भी दो दिन लग जाते थे। इतने में आवश्यक कदम उठाने का मौका मिल जाता था। फोर्स भेजने का भी मौका मिल जाता था। आज टीवी पर घटना के चंद मिनटों बाद खबर आ जाती हैं। तस्वीरें दिखानी शुरू हो जाती हैं। प्रशासन को आज टीवी की स्पीड से मुकाबला करना पड़ता है। अहमदाबाद से बड़ौदा तो फोन चंद मिनटों में हो जाता है। मगर पुलिस फोर्स भेजनी हो, तो कम से कम दो घंटे लगेंगे। पुलिस फोर्स टीवी न्यूज की स्पीड की मुकाबला नहीं कर सकती। दूसरा मैं देश के अन्य भागों में हुए दंगों से तुलना करूं। मैं इस बात में विश्वास नहीं करता कि 1984 में दिल्ली में क्या हुआ? इसके लिए हमारे यहां हुआ तो क्या बात है? दंगा दंगा है। 1984 के दंगे में एक भी जगह गोली नहीं चली और न लाठी चार्ज हुआ। अगर लाठी चार्ज हुआ तो सिर्फ एक जगह हुआ। जहां इंदिरा गांधी की डेड बॉडी रखी हुई थी। वहां इतनी भीड़ जमा हो गयी थी कि उसको कंट्रोल करने के लिए लाठी चार्ज हुआ। लेकिन दंगा रोकने के लिए पुलिस का इस्तेमाल नहीं हुआ। गुजरात में 27 फरवरी को गुजरात में कितनी जगह गोली चली, लाठी चार्ज हुआ, कर्फ्यू लगाया गया। कार्रवाई हुई।
हिंदुओं को खुली छूट
सिद्दीकी : लेकिन आपकी पार्टी के लोग, आपके प्रशासन के अफसर यह कहते हैं कि आपने कहा कि हिंदुओं को 48 घंटे गुस्सा निकालने दो। हरेन पांड्या और संजीव भट्ट ने यह आरोप लगाया। आप इसके बारे में क्या कहते हैं?
मोदी : आपको किसी पर तो भरोसा करना होगा। मुझ पर नहीं तो सुप्रीम कोर्ट पर करें। सुप्रीम कोर्ट ने जांच करवायी। इसकी रिपोर्ट में क्या कहा गया? मैंने क्या कार्रवाई की? इसके बारे में मैं आपको पूरे तथ्य पेश कर रहा हूं। कहां-कहां गोली चली? कितने लोग मारे गये। आज तो मीडिया जागा हुआ है। कोई बात छुपती नहीं है। कोई झूठ चलता नहीं है। मैं एक बहुत महत्वपूर्ण बात बताता हूं। मगर छापना मत (इसके बाद मोदी ने फौज के बुलाने के बारे में कुछ बातें कहीं मगर उन्हें प्रकाशित करने से मना कर दिया) एक और झूठ है। 27 फरवरी को गोधरा का वाकया हुआ। 28 को दंगे भड़के। एक मार्च को फौज बुलायी गयी। मीडिया के कुछ लोग कहते हैं कि तीन दिन तक फौज नहीं बुलायी। वे यह भूल जाते हैं कि फरवरी में 28 दिन ही होते हैं। यानी हमने अगले ही दिन अहमदाबाद को फौज के हवाले कर दिया था। गाली देने से पहले तो सोच लीजिए।
दंगों की योजना पहले से ही थी
सिद्दीकी : मगर दंगे तो ऐसे हुए जैसे उनकी पहले से तैयारी थी। मुसलमानों के घर और दुकानों को चुन-चुन कर जलाया गया। जैसे पहले से ही निशान लगाये गये थे। पहले से ही प्लान तैयार था। मुसलमानों की सूचियां बनी हुई थीं।
मोदी : यह सब झूठ है। प्रॉपोगंडा है। उस वक्त की खबरें देखिए कि कितने मुसलमानों को बचाया गया है। अगर हम बचाने की कोशिश न करते तो कौन बचता? क्या-क्या कार्रवाई हुई, इसका विवरण एसआईटी के पास है।
सिद्दीकी : हिंदुस्तान के मुसलमानों के दिल में शक है, जख्म है। इसलिए लोग सच्चाई जानना चाहते हैं कि आपके मिनिस्टर पुलिस कंट्रोल रूम में मौजूद थे।
मोदी : झूठ, सरासर झूठ। तमाम सच्चाइयां एसआईटी के पास हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जांच की है। उन्होंने क्या पाया, इसका इंतजार करिए। मेरे कहने न कहने से फर्क नहीं पड़ता।
सिद्दीकी : अहमदाबाद में जो दंगे हो रहे थे, इसकी आपको पहले से ही खबर थी। क्या आपने शहर का राउंड लिया? रिफ्यूजी कैंपों में गये?
मोदी : मैं सब जगह गया। सबकी फिक्र की। यह प्रॉपोगंडा फैलाया जाता है कि रिफ्यूजी कैंप सरकार ने नहीं चलाये। हमारे यहां गुजरात में सामाजिक ढांचा बहुत मजबूत है। जब भूचाल आया था, तो भी हमने कैंप नहीं लगाये थे। हमने सारा इंतजाम अनाज, राशन आदि सामाजिक संगठनों के हवाले कर दिया था। इन शिविरों को चलाने वाले मुसलमान हो सकते हैं। मगर उनकी सारी जरूरतें सरकार पूरी कर रही थी। इसका पूरा रिकॉर्ड है। कहां क्या दिया गया। कितना अनाज और दूसरी चीजें दी गयीं? इतना ही नहीं, दसवीं के इम्तेहान थे। इसका पूरा इंतजाम हमने किये। मुसलमान बच्चों ने इम्तेहान दिये और पास हुए। इस पर भी लोग अदालत गये, मगर गलत साबित हुए। मगर कुछ लोगों ने और मीडिया ने मेरे खिलाफ झूठ फैलाने का ठेका ले रखा है।
वाजपेयी ने क्या कहा?
सिद्दीकी : उस वक्त अटल बिहारी बाजपेयी ने आपसे क्या कहा? उन्होंने आपसे कहा कि आपने राजधर्म नहीं निभाया।
मोदी : यह झूठ चलाया जाता है। अटल जी ने जिस भाषण में कहा कि राजधर्म निभाना चाहिए। उसी में उन्होंने आगे कहा था कि मुझे मालूम है कि गुजरात में राजधर्म निभाया जाता है। इसी का अगला जुमला है। मगर मीडिया उसे गायब कर देता है। हालांकि उसका वीडिया रिकॉर्ड मौजूद है।
सिद्दीकी : आज दस वर्ष दंगे को हो गये हैं। आपसे अटल जी ने क्या कहा? दंगा रोकने के लिए क्या कदम उठाये? आपसे प्रधानमंत्री की क्या बात हुई? कुछ तो बताइए।
मोदी : उन्होंने कहा कि हम मिल जुलकर बेहतर करने की कोशिश करें और हालात पर काबू पाएं।
फांसी पर लटका दो
सिद्दीकी : 1984 के दंगों की राजीव गांधी ने माफी मांगी। एचकेएल भगत, जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार के खिलाफ कार्रवाई हुई। उनका राजनीतिक कैरियर खत्म हो गया। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने भी माफी मांगी। फिर आखिर आपने 2002 के गुजरात दंगों पर माफी क्यों नहीं मांगी? अफसोस का इजहार क्यों नहीं किया? जबकि यह आपकी जिम्मेवारी थी।
मोदी : पहली बात उस वक्त मैंने क्या बयान दिये थे। उन्हें देख लीजिए। उस गर्मा-गर्मी के माहौल में मोदी ने क्या कहा? 2004 में मैंने एक इंटरव्यू में कहा था, मुझे क्यों माफ करना चाहिए? अगर मेरी सरकार ने यह दंगे करवाये, तो उसे बीच चौराहे पर फांसी लगनी चाहिए। और ऐसी फांसी होनी चाहिए कि अगले सौ साल तक किसी शासक को ऐसा पाप करने की हिम्मत न हो। जो लोग माफ करने की बात कर रहे हैं, वे पाप को बढ़ावा दे रहे हैं। अगर मोदी ने गुनाह किया है, तो उसे फांसी पर लटका दो। मगर अगर राजनीतिक कारणों से मोदी को गाली देनी है तो इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं है।
सिद्दीकी : जो हुआ उसके लिए आपके दिल में कोई दुख है? हजारों लोग मरे इसके लिए आपको कोर्इ अफसोस है? मैं एक अखबार का एडिटर हूं। अगर उसमें कोई गलत बात छपती है, तो मैं माफी मांगता हूं।
मोदी : आज माफी मांगने का क्या मतलब है। मैंने तो उसी वक्त जिम्मेवारी ली। अफसोस किया, माफी मांगी। देखिए 2002 में दंगे के बाद क्या कहा? (इसकी एक कॉपी मुझे उन्होंने दी।) आप यह तो लीखिए कि हम दस सालों से मोदी के साथ अन्याय कर रहे हैं। हमें माफी तो मोदी से मांगनी चाहिए।
इंसाफ क्यों नहीं मिला?
सिद्दीकी : चलिए दंगे हो गये। मगर इसके बाद क्या हुआ? मुसलमानों को आज तक इंसाफ नहीं मिला। आपके प्रशासन ने तो तभी सभी कातिलों को बरी कर दिया। जब तक सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी बनाकर आप पर सजा देने के लिए मजबूर नहीं किया। आपने कोई कदम नहीं उठाया।
मोदी : आप झूठे प्रचार का शिकार हो गये हैं।
सिद्दीकी : हम भी झूठ के शिकार हैं। पूरी दुनिया शिकार है।
मोदी : एक स्वार्थी ग्रुप है, वह शिकार है। जिस एसआईटी की आप बात कर रहे हैं, उसने तो छह-सात मुकदमों की जांच की है। आपकी जानकारी के लिए गुजरात में तो हजारों एफआईआर दर्ज हुए। हजारों गिरफ्तार हुए। आज तक देश में जितने दंगे हुए, 1984 के दंगों में एक भी आदमी को सजा नहीं हुई। जबकि हमारे यहां 50 केसों में सजाएं हो चुकी हैं। आप जिन दो केसों की बात करते हैं, वह गुजरात से बाहर ले गये। इनकी जांच किसने की? गुजरात पुलिस ने। गोवा कौन लाया? गुजरात पुलिस। चार्ज शीट किसने बनायी? गुजरात पुलिस ने। हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। इस मामले को गुजरात से बाहर ले गये। वही कागज, वही गवाह, वही गुजरात पुलिस की जांच। महाराष्ट्र की अदालत ने सजा दी। कोई नयी जांच तो नहीं की। आपने न्यायालय पर अविश्वास किया है। गुजरात पुलिस पर नहीं। बल्किस बानो केस की जांच गुजरात पुलिस ने की और बाद में उसे सीबीआई के हवाले कर दिया। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गुजरात पुलिस ने इस मामले में जिन्हें गिरफ्तार किया था, उन्हें सजा हुई। सीबीआई ने जिन्हें गिरफ्तार किया था, वे निर्दोष सिद्ध होकर बरी हुए। एक पुलिस वाले ने सीबीआई को कागज देने में देर की, तो उसे सजा हुई।
सिद्दीकी : पिछले दस सालों में गुजरात में मुसलमानों के फर्जी एनकाउंटर हुए। इनके केस चल रहे हैं। आपके पुलिस अधिकारी जेल में है। आपका प्रशासन…
मोदी ने बात काटते हुए कहा : सुन लीजिए… सुन लीजिए… मायावती जी ने चुनाव से पहले अपने विज्ञापन में लिखा है कि हमने 393 एनकाउंटर करके शांति स्थापित की है। मेरे यहां तो सिर्फ 12 एनकाउंटर ही हुए। इनके मुकदमे चल रहे हैं। अभी किसी को सजा नहीं हुई है। ह्यूमन राइट्स कमीशन ने कहा है कि देश में जो एनकाउंटर हुए, उनमें चार सौ फर्जी थे। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगी है कि इन सबकी जांच होनी चाहिए। ऐसा क्‍यों नहीं हो रहा है। सिर्फ गुजरात के एनकाउंटरों की जांच हो रही है। देश के बाकी हिस्सों में होनेवाले एनकाउंटरों की जांच क्यों नहीं?
सिद्दीकी : ऐसा क्यों हो रहा है?
मोदी : क्योंकि गुजरात को निशाना बनाया गया है। मुंबई में एनकाउंटर हो रहे हैं। मगर उनकी जांच नहीं हो रही। हर पार्टी गुजरात को बदनाम करने लगी है। वह ऐसा कर रही है।
सिद्दीकी : क्या कांग्रेस ऐसा कर रही है?
मोदी : जो भी पार्टी गुजरात को बदनाम करने में लगी है, वह ऐसा कर रही है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता।
मोदी तानाशाह है
सिद्दीकी : मगर आपकी अपनी पार्टी के लोग विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, आरएसएस के लोग यह इल्जाम लगाते हैं कि आप एक डिक्टेटर हैं। लोगों की जुबान बंद कर देते हैं। वे तो आपके विरोधी नहीं। आपकी अपनी पार्टी के हैं।
मोदी : मेरे पास कोई ऐसी जानकारी नहीं मगर फिर भी कोई ऐसा कहता है तो यह लोकतंत्र है।
मोदी प्रधानमंत्री
सिद्दीकी : कहा जाता है कि आप देश का प्रधानमंत्री बनने की तैयारी कर रहे हैं। आप गुजरात से निकल कर राष्ट्रीय राजनीति की जिम्मेवारी संभालना चाहते हैं। अगर आप देश के प्रधानमंत्री बनें, तो आपके क्या पांच महत्वपूर्ण काम होंगे।
मोदी : देखिए, मैं बुनियादी तौर पर संगठन का व्यक्ति हूं। कुछ खास परिस्थितियों में मैं मुख्यमंत्री बन गया। जिंदगी में मैं किसी स्कूल के मॉनिटर का भी चुनाव नहीं लड़ा था। मैं कभी किसी का एलेक्शन एजेंट भी नहीं बना। मैं तो इस दुनिया का इंसान ही नहीं हूं। न ही इस दुनिया से मेरा कुछ लेना देना रहा। आज मेरी मंजिल है छह करोड़ गुजराती। उनकी भलाई, उनका सुख। मैं अगर गुजरात में अच्छा काम करता हूं, तो यूपी और बिहार के दस लोगों की नौकरी लगती है। मैं हिंदुस्तान की सेवा गुजरात के विकास द्वारा करूंगा। गुजरात में अगर नमक अच्छा पैदा होगा, तो सारा देश गुजरात का नमक खाएगा। मैंने गुजरात का नमक खाया है और सारे देश को गुजरात का नमक खिलाता हूं।
मुसलमानों के लिए क्या किया?
सिद्दीकी : आखिर आपने गुजरात के मुसलमानों की भलाई के लिए कोई काम किया?
मोदी : मैं हिंदू मुसलमान की सोच नहीं रखता। मैंने तो यह देखा है कि जो पिछड़ा हुआ है, उसे आगे बढ़ाया जाए। समुंदर के तटीय क्षेत्र में मुसलमान ज्यादा हैं। हमने 1500 करोड़ का पैकेज दिया है। वहां हमने आईआईटी खोले हैं। स्कूल खोले हैं। मछुआरों के बच्चों को विमान चालन के बारे में बताया है। मछुआरों को छह महीने रोटी मिलती है। मैंने वहां पर सीवीड उगाने का काम किया है। ताकि मछुआरों को रोजी मिल सके।
मोदी की पतंग
सिद्दीकी : अहमदाबाद में बहुत से इलाके दलितों और मुसलमानों के ऐसे हैं, जो पिछड़े हैं। वहां बैंक नहीं हैं। अस्पताल नहीं हैं।
मोदी : यहां शहरी समृद्धि योजना है। इसके तहत काम हो रहा है। कंप्यूटर की शिक्षा दी जा रही है। बैंक नहीं हैं। यह काम केंद्र का है। आपकी प्रिय कांग्रेस सरकार का काम है। गुजरात में पतंगबाजी बहुत बड़ा उद्योग है। इसे 99 प्रतिशत मुसलमान चलाते हैं। मैंने इसका गहराई से अध्ययन किया है। मैं बोलना शुरू करूं, तो आप भी पतंगबाजी पर मुझे पीएचडी की डिग्री दे देंगे। अहमदाबाद में जो पतंग बनती थी, वह 34 जगह जाती थीं। कही बांस बनता था तो कहीं गुंद, कहीं कागज। इससे काफी महंगा पड़ता था। मैंने रिसर्च करवायी। पहले यह पतंग उद्योग 8-9 करोड़ का था, आज 50 करोड़ का है। पहले पतंग का कागज तीन रंगों का अलग-अलग लगता है। मैंने कागज वालों से कहा कि वो एक ही कागज का तीन रंग का छाप दें। पतंग का बांस असम से आता है। मैंने रिसर्च करवाया अब गुजरात में ही बांस पैदा हो रहे हैं। आज हम सबसे ज्यादा चीनी वाला गन्‍ना पैदा कर रहे हैं। यह फायदा किसे मिला? आप कहेंगे मुसलमान को मिला। मैं कहूंगा मेरे गुजरातियों को मिला।
मोदी का सेकुलरिज्म
सिद्दीकी : मोदी जी, क्या आप हिंदुस्तान को सेकुलर मुल्क बनाये रखना चाहेंगे। क्या आपका सेकुलरवाद में विश्वास है?
मोदी : जो लोग हिंदुस्तान को सेकुलरिज्म सिखा रहे हैं, वे अब देश की तौहीन कर रहे हैं। यह देश शुरू से ही सेकुलर है। भारत अफगानिस्तान का हिस्सा था, तब भी वह सेकुलर था। पाकिस्तान में भी जब तक हिंदू थे, वह सेकुलर था। बांग्लादेश सेकुलर था। आप यह देखिए कि कौन सी पार्टी है, जिसने देश से सेकुलरिज्म को खत्म किया?
सिद्दीकी : आप एक शब्द इस्तेमाल करते हैं, सोडो सेकुलरिज्म। इसका क्या मतलब है?
मोदी : सोडो सेकुलर वे होते हैं, जो नाम के सेकुलर होते हैं काम के नहीं। जो उपदेश बड़े-बड़े देते हैं, काम फिरकापरस्ती के करते हैं। अब हमारे यहां भाजपा के एक लीडर थे, शंकर सिंह वाघेला। आज वे कांग्रेस के बहुत बड़े सेकुलर लीडर बन गये हैं। आप में से कोई उनसे यह पूछे कि जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया, तो उस वक्त वे कहां थे? वे किस स्टेज पर खड़े हुए थे? अब वे कांग्रेस में शामिल हो गये तो सेकुलर हो गये। उनके सब पाप धुल गये। वे मुसलमानों से कहते हैं कि मुझे वोट दो, क्योंकि मैं मोदी से लड़ रहा हूं। हम इसको सोडो सेकुलरिज्म कहते हैं।
अखंड भारत
सिद्दीकी : क्या आप फिर भारत को अखंड भारत बनाना चाहते हैं? क्या आपका यह स्वप्न है?
मोदी : मेरा स्वप्न है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक रहे, नेक रहे। सब सुखी रहें। सबका कल्याण हो। जो साम्राज्यवादी मनोवृत्ति के लोग हैं, वे पाकिस्तान में अखंड भारत का आंदोलन चला रहे हैं। पाकिस्तान में आंदोलन चल रहा है कि पाकिस्तान, हिंदुस्तान और बांग्लादेश एक हो जाएं ताकि यहां पर मुसलमान बहुसंख्यक हो जाएं। आजकल आपलोगों के भी मुंह में पानी आ रहा है। इसलिए कि आप अखंड भारत के नाम पर मुस्लिम बहुल देश बनाना चाहते हैं। सब मुसलमानों को इकट्ठा करके हिंदुस्तानी मुसलमानों को आगे लाकर तनाव पैदा किया जाए। आपका भी यह सपना होगा।
सिद्दीकी : मेरा सपना तो संयुक्त हिंदुस्तान का था। मेरे पिता ने देश के विभाजन का विरोध किया था। पाकिस्तान बनने का विरोध किया था। हमारा स्वप्न तो पूरे उपमहाद्वीप में शांति स्थापित करने का है।
हिंदू आतंकवाद
सिद्दीकी : गत दिनों आतंकवाद बढ़ा है। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता मगर आज कुछ हिंदू भी आतंकवादी बने हैं, तो इसका मुकाबला करने के लिए क्या कदम उठाये जाएं।
मोदी : सख्त कानून बनाया जाए।
सिद्दीकी : आपने तो सख्त कानून पोटा के तहत सिर्फ मुसलमानों को पकड़ा है।
मोदी : हमने जिन्हें गिरफ्तार किया, इनके मामले सुप्रीम कोर्ट तक गये। मगर अदालत में एक भी केस गलत नहीं पाया गया। देश के दूसरे हिस्से में पोटा का गलत इस्तेमाल हुआ हो, मगर गुजरात में नहीं हुआ। हमारा पोटा लगाया हुआ एक भी केस झूठा नहीं निकला। जब यहां कांग्रेस की सरकार थी, हजारों लोग टाडा में गिरफ्तार हुए। उस वक्त भाजपा के अध्यक्ष मक्रांत देसाई थे। उन्होंने टाडा के खिलाफ कांफ्रेंस की। उन्होंने दुनिया को दिखाया कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया, उनमें 80 प्रतिशत मुसलमान थे।
सिद्दीकी : सीमी पर तो पाबंदी तो लगा दी गयी। मगर आपलोग अभिनव भारत पर पाबंदी लगाने की मांग क्यों नहीं करते?
मोदी : अभी तक अभिनव भारत की संगठन की कोई तस्वीर सामने नहीं आयी। इंडियन मुजाहिदीन की तस्वीर भी सामने नहीं आयी। ये हैं क्या? उन्‍हें कौन चला रहा है? सरकार बताये। पहले पता लगे। तभी तो आप संगठन पर पाबंदी लगाएंगे। सिर्फ गुब्बारे छोड़ने से क्या फायदा। कांग्रेस कभी अभिनव भारत का गुब्बारा छोड़ती है और कभी इंडियन मुजाहिद्दीन का, मगर जनता के सामने न पूरी सच्चाई रखती है न पूरी तस्वीर।
सिद्दीकी : गुजरात के चुनाव नजदीक हैं। आप क्या समझते हैं आपके लिए सबसे बड़ा चैलेंज क्या है?
मोदी : हम खुद ही अपने लिए सबसे बड़ा चैलेंज हैं। क्योंकि हमने स्तर इतना बुलंद कर लिया है कि लोग हमारे स्तर पर हमें नापते हैं। मोदी 16 घंटे काम करता है, तो लोग कहते हैं कि अठारह घंटे क्यों नहीं? लोगों की आकांक्षाएं मोदी से बहुत ज्यादा हैं। इसलिए हमें अपने रिकॉर्ड खुद ही तोड़ने पड़ते हैं।
मोदी के खिलाफ बगावत
सिद्दीकी : आज आपकी पार्टी के अंदर बगावत है। आपके खिलाफ चैलेंज है।
मोदी : यह मैंने जनता पर छोड़ दिया है। वह फैसला करे। मैंने पिछले दस वर्षों में हर चुनाव जीता है। मुझे उम्मीद है कि हम यह भी जीतेंगे।
सिद्दीकी : आप मुसलमानों को कोई संदेश देना चाहेंगे।
मोदी : भाई, मैं बहुत छोटा इंसान हूं। मुझे किसी को पैगाम देने का हक नहीं है। खादिम हूं। खिदमत करता रहूंगा। मैं अपने मुसलमान भाइयों से कहना चाहूंगा कि वे किसी के लिए सिर्फ एक वोट बनकर न रहें। आज हिंदुस्तान की राजनीति में मुसलमान को सिर्फ वोट बना दिया गया है। मुसलमान स्वप्न देखें। उनके स्वप्न उनके बच्चों के स्वप्न पूरे हों। वे वोटर रहें और अपने वोट का खुलकर इस्तेमाल करें। मगर उन्हें इसके आगे एक इंसान एक भारतीय के रूप में देखा जाए। उनकी तकलीफों को समझा जाए। मैं अगर उनके किसी काम आ सकता हूं, तो आऊंगा। मगर उन्हें भी खुले दिमाग से देखना होगा। सोचना होगा।
मेरे पास और भी अभी बहुत सारे सवाल थे। मगर इंटरव्यू चलते डेढ़ घंटा हो चुका था। मोदी को भी जाना था और मुझे भी फ्लाइट पकड़नी थी। इसलिए बहुत से सवाल रह गये। मगर फिर भी मैं ज्यादातर सवाल पूछने में सफल रहा।
शाहिद सिद्दीकी
Mohalla live

Tuesday, July 10, 2012

BURMAA MEY FASAADAAT


Hum

Aaj Kuch Sachaa waqiya likhne ko ji cahta hai Mera dost Jo 3 bachho kaa baap hai  uoska cheraa baar baar Samne guom Rahaa hai Dindaar Mahentu charepe dhaadi aur majboot jism ke saath himaatwala dil uoskaa magar 2 dinse kuch sukha huva uoska chaeraa bhuja bhujaasha lagtaa hai.aur gumsum fikarmand aur jaise uosko koi badaa sadmaa pahucha ho maine jaan ne ki kosis ki ke Akhir baat kiyaa hai muje pataa chalaa uoski ek ladki ko wo collage padaa ta thaa uosne court mai jaakar love mereige kar liyaa or uosladki ke dost ne ladkike ghar yaani ladki ke baap ko Notice bi bhej di ki tumhari ladkiki saath meraa court mai merage ho gyaa hai jabse maano uos inshan ke shar par pahaad saa tout padaa Akhir ek baap thaa aur har maa baap apni auolad ka achha hi sochte hai ki inko achhi taalim di jaaye achhi zindagi di jaaye aur bade ho to waqt aane par inko achhe khandan dini rishtedar ya aur kahi achhi jagah shadi kar di jaaye magar jab bachhe ghar ke bahaar collage ke mahol mai jaate hai to bahaar ki jaharili havaa itni kharaab hoti hai ke apne khandani achheghar wale bachho ka dil dimaag bigaad deti hai kuch badmaash lukkhe haraamkhor kisam ke inshano ki soch aur dhanda hi ye hotaa hai ki achhe sarif khandan paisewale ghar ki ladkiyo ko pataaya jaaye fouslaaya jaaye aur uonhe juthe piyar mohabbat ke sapne bataakar apni jaal mai fasaakar blackmail kiyaa jaaye yaa uoshki jindagi ke saath khelkar aiyaasi aur jishmaani havas puri ki jaaye fir kuch mahine yaa saal baad uos ladki ko chhodkar dusri ko fasaayaa jaay easaa uon haraamkhoro ka dhanda chalte rahta hai uonke kai agent dalaal male female hote hai jo pura dhiyaan rakhte hai ease achhe gharane ki ladkiyo pe are maanlo ladki khubsurat dikhne ke liye beautiparlor mai jaati hai to wo log bi is kaarobaar ke naam par ladkiyo ke jishmoka soda yaa fasane fuslaane kaa kaam karte hai Akhbaaro mai surat ke kai waqiyaat aese aachuke hai koi himmat karke puolish ko khabar detaa hai to pulish aese parlaro par red daalti hai kuch wakt ke liye band hotaa hai aur fir suru hojaata hai ye dhandaa yaa dusre jagaah dhandaa chalaate hai hamaare samaaj ke liye kitni buri baat hai ye ham ek baaju se vikaash aur tarakki ke dinge maarte hai aur dusri baaju maushare mai aese or isse kai dginone kaam chalte hai  jisse izzatdar  inshan marne pe majbur ho jaata hai yaa mar mar ke jitaa hai aaj aapko bade sahro mai hi nahi chhote kashbe our gauno tak kaa mahol bigad chukaa hai aur ham tarakki ki baatey kar rahe hai.
      uosh badkishmat beti ke baapne apni bachhi ke liye apne rishtedar mai achha gharana dhundathaa aur maa baap soch rahe te ki beti padle fir uoski achhi tarike se shaadi karaadege to hamaare jimme se ek jimmedari yaa fariza puraa hogaa magar afsos ladki ki bhoulne or jid ne maabaap ke sapno pe paani fer diyaa khair aap dekho ge aese har sahar mai har jagah bahot waqiye bante hai jo ham sab ke liye ek red singnal hai aaj kaa achha imaandar dindar inshan ka is duniya mai salaamat rahena muje naamumkin lagtaa hai yaa fir log bichare majboor hokar ji lete hai.
     Muje yaad Aarahaa hai ek Allah wale jo apne bayaan mai kahaa karte they ki tum paisha lelo kuch bi karlo bhai ham lok makaan banaa kar bhaaduti dete hai bhada aataa hai to achh lagtaa hai lekin kiyaa aapne kabhi dekha hai wohi tumahare bhaadoti makaan mai aurte bahan betiyaa or dighar log jo chaddi baniyan yaa khule pet ourto ki baalti yaa dram mai paani daale,tumne dekh hai toilet ki laion mae javaan javaan bachhiyaa aur nange chaddi pahne muh me datan chabaate huve mardo ko?
    kiyaa tumhe rupiyo se itni mohabbat hai ki tumhari yaani kom ki maa bahan betyo kaa kuch bi ho kiyaa tumhaare zamir margaye hai?to fir Allah ka azab na aaye to kiyaa aayegaa?

· · · Share · Delete