Wednesday, June 27, 2012

Ek Qadam

Jarur Padho Aur Saath Do.
सोशल जस्टिस फ़ोरम आफ़ इंडिया (27, 28 जून, 2012)
आप सभी लोगों का फ़ैसला सर आँखों पर, इंशाअल्लाह लिखना जारी रहेगा, लेकिन अब नतीजा हासिल करने के लिए इससे कुछ आगे क़दम उठाना होगा। आज़ाद हिंद फ़ौज की तर्ज़ पर इंसाफ़ हासिल करने के लिए कोई तंज़ीम खड़ी करनी होगी, जिसका वजूद बैनुल अक़्वामी सतह पर होगा। आज मुझे इस तहरीक पर अमादा करने व...ाले, साथ देने का अह्द करने वाले इस फ़ोरम के फ़ाउंडर मेंम्बर होंगे। हर एक को अपने दायरे अहबाब से 11 मेंम्बरान का इंतिख़ाब करने का हक़ होगा। इस तरह हम एक तंज़ीम की शुरूआत करेंगे। सब अपना और अपने ज़रिए नामिनेटेड (Nominated) मेंम्बरान का प्रोफ़ाइल मेरे ई-मेल पर इरसाल करेंगे। इंशाअल्लाह जल्द ही हर ज़िला में इसकी यूनिट होगी। बानी मेंम्बरान को ये हक़ हासिल होगा कि वो अपने ज़िला मैं 21 मेंम्बरान का एक ज़िला फ़ोरम बनायें और वो ख़ुद नेशनल फ़ोरम में रहें। हमारा पहला मक़सद होगा तमाम मज़लूमीन को इंसाफ़ दिलाना। हर ज़िला का फ़ोरम अपनी सहूलियात के मुताबिक़ इजलास की तारीख़ तय करे, मैं ख़ुद हर जगह हाज़िर होने की कोशिश करूंगा, चाहे वो दुनिया के किसी कोने में भी हो। तमाम इंतेज़ामात बुलाने वाले को करना होगा। बुनियादी ज़रूरत तमाम सोशल नेटवर्किंग साईट्स को अपने मीडिया नेटवर्क से जोड़ना होगा। मेरे साथ खड़े तमाम जर्नलिस्ट और आईटी एक्सपर्ट इस मीडिया विंग के एक्ज़ीक्युटिव मेंम्बर होंगे। मीडिया कमेटी और मस्जिद व मदारिस के दरमियान एक को-आर् नेशन कमेटी होगी जो इस तहरीक को मस्जिद और मदरसा से जोड़ने का काम करे। सियासत में दिलचस्पी रखने वाले सियासी विंग बनायें। धरना प्रदर्शन, जलसा जलूस की ज़िम्मेदारी वो क़बूल करें।
बहुत से बेगुनाह जेलों में बंद हैं। आए दिन होने वाले दंगों में पुलिस मुजरिमों का साथ देती है। एफ़आईआर नहीं लिखी जाती है। दबाव डाल कर केस वापिस लेने को मजबूर करती है। मुजरिम खुले घूम कर धमकाते रहते हैं। हमारे नेताओं के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। हमारी लीगल कमेटी क़ानूनी मदद देगी।
सियासी विंग और मीडिया विंग इन नाकारा नेताओं पर लगाम कसेगा। नेशनल कमेटी हर महीने सेंट्रल गर्वन्मेंट और स्टेट गर्वन्मेंट को रिपोर्ट भेजेगी और कार्रवाई के लिए मजबूर करेगी। मेरी इत्तेलाआत के मुताबिक़ 1.5 लाख करोड़ से भी ज़्यादा का फ़ंड जो माइनारीटी डेवेलपमेंट स्कीम के लिए था, जो ख़र्च नहीं हुआ उसका हिसाब लेना होगा। हमारी एक आरटीआई एक्सपर्ट कमेटी होगी जो लगातार इन हक़ायक़ को सामने लाएगी।
एक सोशल रिसर्च विंग बनाईए जो ऐसे तमाम मसाइल पर काम करे जो हमारी तरक़्क़ी के रास्ते में रुकावट हैं। लीगल कमेटी उन तमाम मुआमलात को दुबारा खोले जिनमें बेगुनाहों को जेल के अंदर रखना या महेज़ शक की बुनियाद पर दहशतगर्दी का इल्ज़ाम लगा कर जेल भेज दिया। याद रखो हम सिर्फ इस लिए अपना हक़ हासिल नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि झूठे इल्ज़ामात लगा कर हमें एहसासे कमतरी का शिकार बना दिया गया है। हमारे हौसलों को तोड़ दिया गया है। हमारी क्रीमी लेयर को जाल में फंसा कर हमें मुंतशिर कर दिया गया है। मैं अपनी क़ौम को एहसासे कमतरी के दायरे से बाहर निकालना चाहता हूँ। आँखों में आँखें डाल कर बात करते हुए देखना चाहता हूँ, अगर आप इस तहरीक से जुड़ने के लिए तैय्यार हैं, इस लाईन पर काम करने के लिए तैय्यार हैं, तो मैं हर क़दम पर आप के साथ हूँ, लिखने के लिए भी, बोलने और इससे भी आगे बढ़ कर कुछ करने के लिए भी लेकिन पहले आप तय करें कि क्या आप एक नए हिंदुस्तान की तामीर का जज़्बा रखते हैं। जिसमें हर क़दम पर आपको बराबरी का हक़ हासिल हो, अगर हाँ तो बिस्मिल्लाह। उठाइए अमली क़दम वर्ना क्या होगा मेरे लिखते रहने से, अब वक़्त है मैदाने अमल में उतरने का.................................................
आरएसएस की साज़िश तो बात पुरानी हो गई अब इंतेज़ार कीजिए, आरएसएस का देशद्रोह। मैं एक सच्चा पक्का हिंदुस्तानी हूँ, क़ौमियत और हिन्दू मुस्लिम इत्तेहाद मेरा मक़सद है और ये पाठ मुझे आरएसएस से पढ़ने की ज़रूरत नहीं है................

Sunday, June 17, 2012

SABA BALRAMPURI

Chali hai Naseem e sahar Dhire Dhire
Guolo pe Karegi Asar Dhire Dhire

Tumhari Mohabbat mai hum marmitegey
Magar Tumko hogi khabar Dhire Dhire
 
Lagi Aag Uolfat ki Dono Ke Dil may
Idhar Dhire Dhire Udhar Dhire Dhire

Muje Aesi uommeid tumse nahi thee
Ke Tum Fer loge Nazar Dhire Dhire.

Saturday, June 9, 2012

Vakf


Woh,

 
kabhi kabhi wo meri tabiyat ki khabar puch leti hai, kabhi kabhi wo mere salam ka jawab de deti hey
ek maamulisa Naciz Insan hu mai,wo muje yaad karke na jaane kiyaa sochti hay
na dikhey wo to ashqey ro leti hai aa jaati hay wo to khusiya chha jaati hai
uoski yaado ko sochkar labo pe Muskaan chha jaati hay Dikh jaati hai wo to Dil ki duniya badal jaati hay  (9/6/2012)
 
                                10/6/2012
 
Na Jaane q Wo Aakho ko dekhar heran Ho jaata hu, Uoske Aawaz ko Sunkar q pareshaa ho jaataa hu wo dikhti hai to muskurata hu,na dikhe to gam me dub jaata hu,yaa khudaa ye kaisi dil ki harkat hai, sochta tuje aur yaad uose karta hu